Alif Lam Mim Surah in Hindi: – दोस्तों जैसा कि आपने हमारी पिछली पोस्ट में सूरह बक़रह यानी की अलिफ़ लाम मीम सूरह के रुकू 1-16 तक पढ़ ही लिए होंगे।

इस पोस्ट में आप सूरह बकराह यानी की अलिफ़ लाम मीम सूरह के रुकू 17-40 तक को हिंदी में तर्जुमा के साथ पढेंगे।
📌 नोट: - कुरान को हमेशा अरबी में ही पढ़ें ताकि अल्फाज़ ठीक से पढ़ सकें।
Alif Lam Mim Surah In Hindi
रुकु 17
सयकूलुस्-सुफहा-उ मिनन्नासि मा वल्लाहुम् अन् किब्लतिहिमुल्लती कानू अलैहा , कुल लिल्लाहिल-मश्रिकु वल्मग्रिबु , यह्दी मंय्यशा-उ इला सिरातिम्-मुस्तकीम (142)
मूर्ख लोग अब कहेंगे, “उन्हें उनके उस क़िबले (उपासना-दिशा) से, जिस पर वे थे किस ची़ज़ ने फेर दिया?” कहो, “पूरब और पश्चिम अल्लाह ही के हैं, वह जिसे चाहता है सीधा मार्ग दिखाता है।”
व कज़ालि-क जअ़ल्नाकुम् उम्मतंव व-स-तल्लितकूनू शु-हदा-अलन-नासि व यकूनर्रसूलु अलैकुम् शहीदन् , वमा जअल्नल-किब्लतल्लती कुन्-त अ़लैहा इल्ला लिनअ्ल-म मंय्यत्तबिअुर्रसू-ल मिम्-मंय्यन्कलिबु अला अकिबैहि , व इन् कानत् ल-कबी-रतन् इल्ला अलल्लज़ी-न हदल्लाहु वमा कानल्लाहु लियुजी-अ ईमानकुम , इन्नल्ला-ह बिन्नासि ल-रऊफु़र्रहीम (143)
और इसी प्रकार हमने तुम्हें बीच का एक उत्तम समुदाय बनाया है, ताकि तुम सारे मनुष्यों पर गवाह हो, और रसूल तुमपर गवाह हो ।और जिस (क़िबले) पर तुम रहे हो उसे तो हमने केवल इसलिए क़िबला बनाया था कि जो लोग पीठ-पीछे फिर जानेवाले हैं, उनसे हम उनको अलग जान लें जो रसूल का अनुसरण करते हैं। और यह बात बहुत भारी (अप्रिय) है, किन्तु उन लोगों के लिए नहीं जिन्हें अल्लाह ने मार्ग दिखाया है। और अल्लाह ऐसा नहीं कि वह तुम्हारे ईमान को अकारथ कर दे, अल्लाह तो इनसानों के लिए अत्यन्त करुणामय, दयावान है।
कद् नरा तक़ल्लु-ब वज्हि-क फ़िस्समा-इ फ़-ल-नुवल्लियन्न-क किब्लतन् तर्जा़हा फ़-वल्लि वज्ह-क शत्रल-मस्जिदिल्-हरामि , व हैसु मा कुन्तुम् फ़-वल्लू वुजू-हकुम् शतरहू , व इन्नल्लज़ी-न ऊतुल्किता-ब ल-यअ्लमू-न अन्नहुल-हक्कु मिर्रब्बिहिम , व मल्लाहु बिग़ाफ़िलिन् अम्मा यअ्मलून (144)
हम आकाश में तुम्हारे मुँह की गर्दिश देख रहे हैं, तो हम अवश्य ही तुम्हें उसी क़िबले का अधिकारी बना देंगे जिसे तुम पसन्द करते हो। अतः मस्जिदे-हराम (काबा) की ओर अपना रुख़ करो। और जहाँ कहीं भी हो अपने मुँह उसी की ओर करो। निश्चय ही जिन लोगों को किताब मिली थी, वे भली-भाँति जानते हैं कि वही उनके रब की ओर से हक़ है, इसके बावजूद जो कुछ वे कर रहे हैं अल्लाह उससे बेख़बर नहीं है।
व लइन् अतै तल्लज़ी-न ऊतुल-किता-ब बिकुल्लि आ-यतिम्मा तबिअू किब्ल-त-क वमा अन्-त बिता-बिअिन् किब्ल-तहुम् वमा बअ्जुहुम् बिताबिअि़न् किब्ल-त बअ्ज़िन , व ल-इनित्तबअ्-त अहवा-अहुम् मिम्-बअदि मा जाअ-क मिनल्-अिल्मि इन्न क इज़ल् लमिनज्जालिमीन •(145)
यदि तुम उन लोगों के पास, जिन्हें किताब दी गई थी, कोई भी निशानी ले आओ, फिर भी वे तुम्हारे क़िबले का अनुसरण नहीं करेंगे और तुम भी उनके क़िबले का अनुसरण करने वाले नहीं हो। और वे स्वयं परस्पर एक-दूसरे के क़िबले का अनुसरण करनेवाले नहीं हैं। और यदि तुमने उस ज्ञान के पश्चात, जो तुम्हारे पास आ चुका है, उनकी इच्छाओं का अनुसरण किया, तो निश्चय ही तुम्हारी गणना ज़ालिमों में होगी।
अल्लज़ी-न आतैनाहुमुल्-किता-ब यअ्रिफूनहू कमा यअरिफू-न अब्ना-अहुम , व इन्-न फ़रीकम्-मिन्हुम् ल-यक्तुमूनल-हक्क व हुम् यअ्लमून (146)
जिन लोगों को हमने किताब दी है वे उसे पहचानते हैं, जैसे अपने बेटों को पहचानते हैं और उनमें से कुछ सत्य को जान-बूझकर छिपा रहे हैं।
अल्हक्कु मिर्रब्बि-क फला तकूनन्-न मिनल-मुम्तरीन (147)*
सत्य तुम्हारे रब की ओर से है, अतः तुम सन्देह करनेवालों में से कदापि न होना।
Alif Lam Mim Surah-2 रुकु 18
व लिकुल्लिव्विज्हतुन हु-व मुवल्लीहा फ़स्तबिकुल-खैराति , ऐ-न मा तकूनू यअ्ति बिकुमुल्लाहु जमीअ़न् , इन्नल्ला-ह अला कुल्लि शैइन् क़दीर (148)
प्रत्येक की एक ही दिशा है, वह उसी की ओर मुख किेए हुए है, तो तुम भलाइयों में अग्रसरता दिखाओ। जहाँ कहीं भी तुम होगे अल्लाह तुम सबको एकत्र करेगा। निस्संदेह अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है।
व मिन् हैसु ख़रज्-त फ़-वल्लि वज्ह-क शत्रल मस्जिदिल्-हरामि , व इन्नहू लल्हक्कु मिरब्बि-क , व मल्लाहु बिग़ाफ़िलिन् अम्मा तअ्मलून (149)
और जहाँ से भी तुम निकलो, ‘मस्जिदे हराम’ (काबा) की ओर अपना मुँह फेर लिया करो। निस्संदेह यही तुम्हारे रब की ओर से हक़ है। जो कुछ तुम करते हो, अल्लाह उससे बेख़बर नहीं है।
व मिन् हैसु ख़रज्-त फ़-वल्लि वज्ह-क शत्रल् मस्जिदिल्-हरामि , व हैसु मा कुन्तुम् फ़-वल्लू वुजूहकुम् शत्रहू लिअल्ला यकू-न लिन्नासि अलैकुम् , हुज्जतुन् , इल्लल्लज़ी-न ज़-लमू मिन्हुम् फला तख़शौहुम् वख़्शौनी , व लि-उतिम्-म निअ्मती अलैकुम् व लअल्लकुम् तह्तदून (150)
जहाँ से भी तुम निकलो, ‘मस्जिदे हराम’ की ओर अपना मुँह फेर लिया करो, और जहाँ कहीं भी तुम हो उसी की ओर मुँह कर लिया करो, ताकि लोगों के पास तुम्हारे ख़िलाफ़ कोई ठोस प्रमाण बाक़ी न रहे – सिवाय उन लोगों के जो उनमें ज़ालिम हैं, तुम उनसे न डरो, मुझसे ही डरो – और ताकि मैं तुमपर अपनी नेमत पूरी कर दूँ, और ताकि तुम सीधी राह चलो।
कमा अर्-सल्ना फीकुम् रसूलम्-मिन्कुम् यत्लू अलैकुम् आयातिना व युज़क्कीकुम् व युअ़ल्लिमुकुमुल-किता-ब वल्हिक्म-त व युअल्लिमुकुम् मा लम् तकूनू तअ्लमून (151)
जैसाकि हमने तुम्हारे बीच एक रसूल तुम्हीं में से भेजा जो तुम्हें हमारी आयतें सुनाता है, तुम्हें निखारता है, और तुम्हें किताब और हिकमत (तत्वदर्शिता) की शिक्षा देता है और तुम्हें वह कुछ सिखाता है, जो तुम जानते न थे।
फज्कुरूनी अज्कुर्कुम् वश्कुरूली वला तक्फुरून (152)*
अतः तुम मुझे याद रखो, मैं भी तुम्हें याद रखूँगा। और मेरा आभार स्वीकार करते रहना, मेरे प्रति अकृतज्ञता न दिखलाना।
Alif Lam Mim Surah in Hindi रुकु 19
या अय्युहल्लज़ी-न आमनुस्तअी़नू बिस्सब्रि वस्सलाति , इन्नल्ला-ह मअ़स्साबिरीन (153)
ऐ ईमान लानेवालो! धैर्य और नमाज़ से मदद प्राप्त करो। निस्संदेह अल्लाह उन लोगों के साथ है जो धैर्य और दृढ़ता से काम लेते हैं।
वला तकूलू लिमंय्युक्त़लु फ़ी सबीलिल्लाहि अम्वातुन् , बल् अह्याउंव् वला-किल्ला तश्अुरून (154)
और जो लोग अल्लाह के मार्ग में मारे जाएँ उन्हें मुर्दा न कहो, बल्कि वे जीवित हैं, परन्तु तुम्हें एहसास नहीं होता।
व ल-नब्लु वन्नकुम् बिशैइम् मिनल्खौफि वल्जूअि़ व नक्सिम् मिनल अम्वालि वल्-अन्फुसि वस्स-मराति , व बश्शिरिस्साबिरीन (155)
और हम अवश्य ही कुछ भय से, और कुछ भूख से, और कुछ जान-माल और पैदावार की कमी से तुम्हारी परीक्षा लेंगे और धैर्य से काम लेनेवालों को शुभ-सूचना दे दो।
अल्लज़ी-न इज़ा असाबतहुम् मुसीबतुन् कालू इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिअून (156)
जो लोग उस समय, जबकि उनपर कोई मुसीबत आती है, कहते हैं, “निस्संदेह हम अल्लाह ही के हैं और हम उसी की ओर लौटने वाले हैं।”
उलाइ-क अलैहिम सलवातुम् मिर्रब्बिहिम् व रहमतुन् , व उलाइ-क हुमुल्-मुह्तदून (157)
यही लोग हैं जिनपर उनके रब की विशेष कृपाएँ हैं और दयालुता भी; और यही लोग हैं जो सीधे मार्ग पर हैं।
इन्नस्सफा वल्मर्व-त मिन् शआ-इरिल्लाहि फ़-मन् हज्जल्बै-त अविअ्त-म-र फ़ला जुना-ह अलैहि अंय्यत्तव्व-फ़ बिहिमा , व मन् त-तव्व-अ खैरन् फ़-इन्नल्ला-ह शाकिरून् अलीम (158)
निस्संदेह सफ़ा और मरवा अल्लाह की विशेष निशानियों में से हैं; अतः जो इस घर (काबा) का हज या उमरा करे, उसके लिए इसमें कोई दोष नहीं कि वह इन दोनों (पहाड़ियों) के बीच फेरा लगाए। और जो कोई स्वेच्छा और रुचि से कोई भलाई का कार्य करे तो अल्लाह भी गुणग्राहक, सर्वज्ञ है।
इन्नल्लजी-न यक़्तुमू-न मा अन्जल्ना मिनल् बय्यिनाति वल्हुदा मिम्-बअदि मा बय्यन्नाहु लिन्नासि फिल्-किताबि उलाइ-क यल् अनुहुमुल्लाहु व यल् अनुहुमुल्-लाअिनून (159)
जो लोग हमारी उतारी हुई खुली निशानियों और मार्गदर्शन को छिपाते हैं इसके बाद कि हम उन्हें लोगों के लिए किताब में स्पष्ट कर चुके हैं; वही हैं जिन्हें अल्लाह धिक्कारता है – और सभी धिक्कारने वाले भी उन्हें धिक्कारते हैं।
इल्लल्लज़ी-न ताबू व अस्लहू व बय्यनू फ़-उलाइ-क अतूबु अलैहिम् व अ-नत्तव्वाबुर्रहीम (160)
सिवाय उनके जिन्होंने तौबा कर ली और सुधार कर लिया, और साफ़-साफ़ बयान कर दिया, तो उनकी तौबा मैं क़बूल करूँगा; मैं बड़ा तौबा क़बूल करनेवाला, अत्यन्त दयावान हूँ।
इन्नल्लज़ी-न क-फरू व मातू व हुम् कुफ्फारून् उलाइ-क अलैहिम् लअ्-नतुल्लाहि वल् मलाइ-कति वन्नासि अज्मअी़न (161)
जिन लोगों ने कुफ़्र किया और काफ़िर (इनकार करनेवाले) ही रहकर मरे, वही हैं जिनपर अल्लाह की, फ़रिश्तों की और सारे मनुष्यों की, सबकी फिटकार है।
ख़ालिदी-न फ़ीहा ला युख्फ्फु अन्हुमुल्-अज़ाबु व ला हुम् युन्ज़रून (162)
इसी दशा में वे सदैव रहेंगे, न उनकी यातना हल्की की जाएगी और न उन्हें मुहलत ही मिलेगी।
व इलाहुकुम् इलाहुंव-वाहिदुन् ला इला-ह इल्ला हुवर्रह्मानुर्रहीम (163)*
तुम्हारा पूज्य-प्रभु अकेला पूज्य-प्रभु है, उस कृपाशील और दयावान के अतिरिक्त कोई पूज्य-प्रभु नही।
Alif Lam Mim Surah in Hindi रुकु 20
इन्-न फ़ी ख़ल्किस्समावाति वलअर्ज़ि वख्तिलाफ़िल्लैलि वन्नहारि वल्फु़ल्किल्लती तजरी फ़िल्बहरि बिमा यन्फअुन्ना-स व मा अन्ज़लल्लाहु मिनस्समा-इ मिम्मा-इन् फ़-अह्या बिहिल् अर्-ज़ बअ्-द मौतिहा व बस्-स फ़ीहा मिन् कुल्लि दाब्बतिन् व तसरीफ़िर्रियाहि वस्सहाबिल मुसख्खरि बैनस्समा-इ वल् अर्जि लआयातिल लिकौमिंय्यअकिलून (164)
निस्संदेह आकाशों और धरती की संरचना में, और रात और दिन की अदला-बदली में, और उन नौकाओं में जो लोगों की लाभप्रद चीज़ें लेकर समुद्र (और नदी) में चलती हैं, और उस पानी में जिसे अल्लाह ने आकाश से उतारा, फिर जिसके द्वारा धरती को उसके निर्जीव होने के पश्चात जीवित किया और उसमें हर एक (प्रकार के) जीवधारी को फैलाया और हवाओं को गर्दिश देने में और उन बादलों में जो आकाश और धरती के बीच (काम पर) नियुक्त होते हैं, उन लोगों के लिए कितनी ही निशानियाँ हैं जो बुद्धि से काम लें।
व मिनन्नासि मंय्यत्तख़िजु मिन् दूनिल्लाहि अन्दादंय्युहिब्बू-नहुम् कहुब्बिल्लाहि , वल्लज़ी-न आमनू अशद्दू हुब्बल-लिल्लाह व लौ यरल्लज़ी-न ज़-लमू इज् यरौनल-अज़ा-ब अन्नल-कुव्व-त लिल्लाहि जमीअंव व अन्नल्ला-ह शदीदुल् अ़ज़ाब (165)
कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अल्लाह से हटकर दूसरों को उसके समकक्ष ठहराते हैं, उनसे ऐसा प्रेम करते हैं जैसा अल्लाह से प्रेम करना चाहिए। और जो ईमानवाले हैं उन्हें सबसे बढ़कर अल्लाह से प्रेम होता है। और ये अत्याचारी (बहुदेववादी) जबकि यातना देखते हैं, यदि इस तथ्य को जान लेते कि शक्ति सारी की सारी अल्लाह ही को प्राप्त है और यह कि अल्लाह अत्यन्त कठोर यातना देनेवाला है (तो इनकी नीति कुछ और होती)।
इज् त-बर्र अल्लज़ीनत्तु बिअ़ू मिनल्लज़ीनत् त-बअू व र-अवुल अज़ा-ब व त कत्तअत् बिहिमुल अस्बाब (166)
जब वे लोग जिनके पीछे वे चलते थे, यातना को देखकर अपने अनुयायियों से विरक्त हो जाएँगे और उनके सम्बन्ध और सम्पर्क टूट जाएँगे।
व कालल्लज़ीनत्त-बअू लौ अन्-न लना कर्रतन् फ़-न-तबर्र-अ मिन्हुम् कमा तबर्रअू मिन्ना , कज़ालि-क युरीहिमुल्लाहु अअ्मालहुम् ह-सरातिन् अलैहिम् , व मा हुम् बिख़ारिजी-न मिनन्नार (167)*
वे लोग जो उनके पीछे चले थे कहेंगे, “काश! हमें एक बार (फिर संसार में लौटना होता तो जिस तरह आज ये हमसे विरक्त हो रहे हैं, हम भी इनसे विरक्त हो जाते।” इस प्रकार अल्लाह उनके लिए संताप बनाकर उन्हें उनके कर्म दिखाएगा और वे आग (जहन्नम) से निकल न सकेंगे।
Alif Lam Mim Surah in Hindi रुकु 21
या अय्युहन्नासु कुलू मिम्मा फिल् अर्ज़ि हलालन् तय्यिबंव-वला तत्तबिअू खुतुवातिश्शैतानि , इन्नहू लकुम् अदुव्वुम् मुबीन (168)
ऐ लोगो! धरती में जो हलाल और अच्छी-सुथरी चीज़ें हैं उन्हें खाओ और शैतान के पदचिन्हों पर न चलो। निस्संदेह वह तुम्हारा खुला शत्रु है।
इन्नमा यअ्मुरूकुम् बिस्सू-इ वल्-फहशा-इ व अन् तकूलू अलल्लाहि मा ला तअ्लमून (169)
वह तो बस तुम्हें बुराई और अश्लीलता पर उकसाता है और इसपर कि तुम अल्लाह पर थोपकर वे बातें कहो जो तुम नहीं जानते।
व इज़ा की-ल लहुमुत्तबिअू मा अन्ज़लल्लाहु कालू बल् नत्तबिअु़ मा अल्फ़ैना अलैहि आबा-अना , अ-व लौ का-न आबाअुहुम् ला यअ्किलू-न शैअंव व ला यह्तदून (170)
और जब उनसे कहा जाता है, “अल्लाह ने जो कुछ उतारा है उसका अनुसरण करो।” तो कहते हैं, “नहीं बल्कि हम तो उसका अनुसरण करेंगे जिसपर हमने अपने बाप-दादा को पाया है।” क्या उस दशा में भी जबकि उनके बाप-दादा कुछ भी बुद्धि से काम न लेते रहे हों और न सीधे मार्ग पर रहे हों?
व म-सलुल्लज़ी-न क-फरू क-म-सलिल्लज़ी यन्अिकु बिमा ला यस्मअु इल्ला दुआअंव व निदाअन् , सुम्मुम् बुक्मुन् अुम्युन् फहुम् ला यअ्किलून (171)
इन इनकार करनेवालों की मिसाल ऐसी है जैसे कोई ऐसी बात को उच्चारित कर रहा है जो स्वयं उसे भी एक पुकार और आवाज़ के सिवा कुछ न सुनाई दे। ये बहरे हैं, गूँगें हैं, अन्धे हैं; इसलिए ये कुछ भी नहीं समझ सकते।
या अय्युहल्लज़ी-न आमनू कुलू मिन् तय्यिबाति मा रज़क़्नाकुम् वश्कुरू लिल्लाहि इन् कुन्तुम् इय्याहु तअ्बुदून (172)
ऐ ईमान लानेवालो! जो अच्छी-सुथरी चीज़ें हमने तुम्हें प्रदान की हैं उनमें से खाओ और अल्लाह के आगे कृतज्ञता दिखलाओ, यदि तुम उसी की बन्दगी करते हो।
इन्नमा हर्र-म अलैकुमुल-मै-त-त वद्द-म व लह्मल खिन्ज़ीरि व मा उहिल्-ल बिही लिगैरिल्लाहि फ़-मनिज्तुर्-र गै-र बागिंव व ला आदिन् फला इस्-म अलैहि , इन्नल्ला-ह गफूर्रहीम (173)
उसने तो तुमपर केवल मुर्दार और ख़ून और सूअर का माँस और जिस पर अल्लाह के अतिरिक्त किसी और का नाम लिया गया हो, हराम ठहराया है। इसपर भी जो बहुत मजबूर और विवश हो जाए, वह अवज्ञा करनेवाला न हो और न सीमा से आगे बढ़नेवाला हो तो उसपर कोई गुनाह नहीं। निस्संदेह अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है।
इन्नल्लज़ी-न यक़्तुमू-न मा अन्जलल्लाहु मिनल्-किताबि व यश्तरू-न बिहि स-मनन् कलीलन् उलाइ-क मा यअ्कुलू-न फ़ी बुतूनिहिम् इल्लन्ना-र व ला युकल्लिमुहुमुल्लाहु यौमल कियामति व ला युज़क्कीहिम व लहुम् अज़ाबुन अलीम (174)
जो लोग उस चीज़ को छिपाते हैं जो अल्लाह ने अपनी किताब में से उतारी है और उसके बदले थोड़े मूल्य का सौदा करते हैं, वे तो बस आग खाकर अपने पेट भर रहे हैं; और क़ियामत के दिन अल्लाह न तो उनसे बात करेगा और न उन्हें निखारेगा; और उनके लिए दुखद यातना है।
उला-इकल्लज़ीनश्त-रवुज् जलाल-त बिल्हुदा वल-अज़ा-ब बिल् मग्फि-रति फमा अस्ब-रहुम् अलन्नार (175)
यही लोग हैं जिन्होंने मार्गदर्शन के बदले पथभ्रष्टता मोल ली; और क्षमा के बदले यातना के ग्राहक बने। तो आग को सहन करने के लिए उनका उत्साह कितना बढ़ा हुआ है!
जालि-क बिअन्नल्ला-ह नज्जलल्-किता-ब बिल्हक्कि , व इन्नल्लज़ीनख़्त-लफू फ़िल्-किताबि लफ़ी शिकाकिम्-बअीद • (176)*
वह (यातना) इसलिए होगी कि अल्लाह ने तो हक़ के साथ किताब उतारी, किन्तु जिन लोगों ने किताब के मामले में विभेद किया वे हठ और विरोध में बहुत दूर निकल गए।
Alif Laam Meem Surah-2 रुकु 22
लैसल्बिर्-र अन् तुवल्लू वुजू-हकुम् कि-बलल्-मशरिकि वल्-मग्रिबि व लाकिन्नल्-बिर्-र मन् आम-न बिल्लाहि वल्यौमिल् आखिरि वल्मलाइ-कति वल्किताबि वन्नबिय्यी-न व आतल्मा-ल अला हुब्बिही ज़विल्कुरबा वल्यतामा वल्मसाकी-न वब्नस्सबीलि वस्सा-इली-न व फिर्रिकाबि , व अक़ामस्सला-त व आतज्ज़का-त वल्मूफू-न बि-अहदिहिम इज़ा आ-हदू वस्साबिरी-न फिल्-बअ्सा-इ वज़्ज़र्रा-इ व हीनल्-बअ्सि , उलाइ-कल्लज़ी-न स-दकू , व उलाइ-क हुमुल्-मुत्तकून (177)
वफ़ादारी और नेकी केवल यह नहीं है कि तुम अपने मुँह पूरब और पश्चिम की ओर कर लो, बल्कि वफ़ादारी तो उसकी वफ़ादारी है जो अल्लाह अन्तिम दिन, फ़रिश्तों, किताब और नबियों पर ईमान लाया और माल, उसके प्रति प्रेम के बावजूद नातेदारों, अनाथों, मुहताजों, मुसाफ़िरों और माँगनेवालों को दिया और गर्दनें छुड़ाने में भी, और नमाज़ क़ायम की और ज़कात दी और अपने वचन को ऐसे लोग पूरा करनेवाले हैं जब वचन दें; और तंगी और विशेष रूप से शारीरिक कष्टों में और लड़ाई के समय में जमनेवाले हैं, ऐसे ही लोग हैं जो सच्चे सिद्ध हुए और यही लोग डर रखनेवाले हैं।
या अय्युहल्लज़ी-न आमनू कुति-ब अलैकुमुल्-किसासु फ़िल्कत्ला , अल्हुर्रू बिल्हुर्रि वल्अ़ब्दु बिल्अ़ब्दि वल्-उन्सा बिल्-उन्सा , फ़-मन् अुफ़ि-य लहू मिन् अख़ीहि शैउन् फ़त्तिबाअुम् बिल्मअ्रूफि व अदाउन् इलैहि बि-इहसानिन् , ज़ालि-क तख्फीफुम् मिर्रब्बिकुम् व रहमतुन् , फ़-मनिअ्तदा बअ्-द ज़ालि-क फ़-लहू अ़ज़ाबुन अलीम (178)
ऐ ईमान लानेवालो! मारे जानेवालों के विषय में क़िसास (हत्यादंड) तुमपर अनिवार्य किया गया, स्वतंत्र-स्वतंत्र बराबर हैं और ग़़ुलाम-ग़ुलाम बराबर हैं और औरत-औरत बराबर हैं। फिर यदि किसी को उसके भाई की ओर से कुछ छूट मिल जाए तो सामान्य रीति का पालन करना चाहिए; और भले तरीक़े से उसे अदा करना चाहिए। यह तुम्हारे रब की ओर से एक छूट और दयालुता है। फिर इसके बाद भी जो ज़्यादती करे तो उसके लिए दुखद यातना है।
व लकुम् फिल्क़िसासि हयातुंय्या उलिल्-अल्बाबि लअल्लकुम तत्तकून (179)
ऐ बुद्धि और समझवालो! तुम्हारे लिए क़िसास (हत्यादंड) में जीवन है, ताकि तुम बचो।
कुति-ब अलैकुम् इज़ा ह-ज़-र अ-ह-दकुमुल्मौतु इन् त-र-क खै-रनिल वसिय्यतु लिल्वालिदैनि वल-अक़्रबी-न बिल्मअ्रूफि हक़्कन अलल्-मुत्तक़ीन (180)
जब तुममें से किसी की मृत्यु का समय आ जाए, यदि वह कुछ माल छोड़ रहा हो, तो माँ-बाप और नातेदारों को भलाई की वसीयत करना तुमपर अनिवार्य किया गया। यह हक़ है डर रखनेवालों पर।
फ़-मम् बद्-द लहू बअ्-द मा समि-अहू फ़-इन्नमा इस्मुहू अलल्लज़ी-न युबद्दिलूनहू , इन्नल्ला-ह समीअुन अलीम (181)
तो जो कोई उसके सुनने के पश्चात उसे बदल डाले तो उसका गुनाह उन्हीं लोगों पर होगा जो इसे बदलेंगे। निस्संदेह अल्लाह सब कुछ सुननेवाला और जाननेवाला है।
फ़-मन् खा-फ़ मिम्-मूसिन् ज-नफ़न् औ इस्मन् फ़-अस्ल-ह बैनहुम् फला इस-म अलैहि , इन्नल्ला-ह गफूरूर्रहीम (182)*
फिर जिस किसी वसीयत करनेवाले को न्याय से किसी प्रकार के हटने या हक़़ मारने की आशंका हो, इस कारण उनके (वारिसों के) बीच सुधार की व्यवस्था कर दे, तो उसपर कोई गुनाह नहीं। निस्संदेह अल्लाह क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है।
Alif Laam Meem Surah-2 रुकु 23
या अय्युहल्लज़ी-न आमनू कुति-ब अलैकुमुस्-सियामु कमा कुति-ब अलल्लज़ी-न मिन् कब्लिकुम् लअल्लकुम् तत्तकून (183)
ऐ ईमान लानेवालो! तुमपर रोज़े अनिवार्य किए गए, जिस प्रकार तुमसे पहले के लोगों पर अनिवार्य किए गए थे, ताकि तुम डर रखनेवाले बन जाओ।
अय्यामम्-मअदूदातिन् , फ़-मन् का-न मिन्कुम् मरीज़न् औ अला स-फ़रिन् फ-अिद्दतुम मिन् अय्यामिन् उ-ख-र , व अलल्लज़ी-न युतीकूनहू फ़िदयतुन् तआमु मिस्कीनिन् , फ़-मन् त-तव्व-अ खैरन फहु-व खैरूल्लहू , व अन् तसूमू खैरूल्लकुम् इन् कुन्तुम् तअ्लमून (184)
गिनती के कुछ दिनों के लिए – इसपर भी तुममें कोई बीमार हो, या सफ़र में हो तो दूसरे दिनों में संख्या पूरी कर ले। और जिन (बीमार और मुसाफ़िरों) को इसकी (मुहताजों को खिलाने की) सामर्थ्य हो, उनके ज़िम्मे बदले में एक मुहताज का खाना है। फिर जो अपनी ख़ुशी से कुछ और नेकी करे तो यह उसी के लिए अच्छा है और यह कि तुम रोज़ा रखो तो तुम्हारे लिए अधिक उत्तम है, यदि तुम जानो।
शहरू र-मज़ानल्लज़ी उन्ज़ि-ल फ़ीहिल्कुरआनु हुदल्लिन्नासि व बय्यिनातिम्-मिनल्हुदा वल्फुरकानि फ़-मन् शहि-द मिन्कुमुश्शह्-र फ़ल्यसुम्हु , व मन् का-न मरीज़न औ अला स-फ़रिन् फ़अिद्दतुम् मिन् उ-ख-र , युरीदुल्लाहु बिकुमुल युस्-र व ला युरीदु बिकुमुल् अुस्-र व लितुक्मिलुल अिद्द-त व लितुकब्बिरूल्ला-ह अला मा हदाकुम् व लअल्लकुम् तश्कुरून (185)
रमज़ान का महीना वह है जिसमें क़ुरआन उतारा गया लोगों के मार्गदर्शन के लिए, और मार्गदर्शन और सत्य-असत्य के अन्तर के प्रमाणों के साथ। अतः तुममें जो कोई इस महीने में मौजूद हो उसे चाहिए कि उसके रोज़े रखे और जो बीमार हो या सफ़र में हो तो दूसरे दिनों में गिनती पूरी कर ले। अल्लाह तुम्हारे साथ आसानी चाहता है, वह तुम्हारे साथ सख़्ती और कठिनाई नहीं चाहता, (वह तुम्हें हिदायत दे रहा है) और चाहता है कि तुम संख्या पूरी कर लो और जो सीधा मार्ग तुम्हें दिखाया गया है, उस पर अल्लाह की बड़ाई प्रकट करो और ताकि तुम कृतज्ञ बनो।
व इज़ा स-अ-ल-क अिबादी अन्नी फ़-इन्नी क़रीबुन् , उजीबु दअ्-वतद्दाअि इज़ा दआ़नि फ़ल्यस्तजीबू ली वल्युअमिनू बी लअल्लहुम् यरशुदून (186)
और जब तुमसे मेरे बन्दे मेरे सम्बन्ध में पूछें, तो मैं तो निकट ही हूँ, पुकारने वाले की पुकार का उत्तर देता हूँ जब वह मुझे पुकारता है, तो उन्हें चाहिए कि वे मेरा हुक्म मानें और मुझपर ईमान रखें, ताकि वे सीधा मार्ग पा लें।
उहिल-ल लकुम् लै-लतस्सियामिर्र-फसु इला निसा-इकुम , हुन्-न लिबासुल्लकुम् व अन्तुम् लिबासुल् – लहुन्-न अलिमल्लाहु अन्नकुम् कुन्तुम् तख़्तानू-न अन्फु-सकुम् फ़ता-ब अलैकुम् व अफ़ा अन्कुम् फल्आ-न बाशिरूहुन्-न वब्तगू मा क-तबल्लाहु लकुम् व कुलू वश्रबू हत्ता य-तबय्यन लकुमुल्खैतुल् अब्यजु़ मिनल्खैतिल् अस्वदि मिनल्-फ़ज्रि सुम्-म अतिम्मुस् सिया-म इलल्लैलि व ला तुबाशिरूहुन्-न व अन्तुम् आकिफू-न फिल्-मसाजिदि , तिल-क हुदूदुल्लाहि फ़ला तकरबूहा , कज़ालि-क युबय्यिनुल्लाहु आयातिही लिन्नासि लअल्लहुम् यत्तकून (187)
तुम्हारे लिए रोज़ों की रातों में अपनी औरतों के पास जाना जायज़ (वैध) हुआ। वे तुम्हारे परिधान (लिबास) हैं और तुम उनका परिधान हो। अल्लाह को मालूम हो गया कि तुम लोग अपने-आप से कपट कर रहे थे, तो उसने तुमपर कृपा की और तुम्हें क्षमा कर दिया। तो अब तुम उनसे मिलो-जुलो और अल्लाह ने जो कुछ तुम्हारे लिए लिख रखा है, उसे तलब करो। और खाओ और पियो यहाँ तक कि तुम्हें उषाकाल की सफ़ेद धारी (रात की) काली धारी से स्पष्ट दिखाई दे जाए। फिर रात तक रोज़ा पूरा करो और जब तुम मस्जिदों में ‘एतिकाफ़’ की हालत में हो, तो तुम उनसे (पत्नियों से) न मिलो। ये अल्लाह की सीमाएँ हैं। अतः इनके निकट न जाना। इस प्रकार अल्लाह अपनी आयतें लोगों के लिए खोल-खोलकर बयान करता है, ताकि वे डर रखनेवाले बनें।
व ला तअकुलू अम्वा-लकुम् बैनकुम् बिल्बातिलि व तुद् लू बिहा इलल्-हुक्कामि लितअ्कुलू फरीकम् मिन् अम्वालिन्नासि बिल्इस्मि व अन्तुम् तअ्लमून (188)*
और आपस में तुम एक-दूसरे के माल को अवैध रूप से न खाओ, और न उन्हें हाकिमों के आगे ले जाओ कि (हक़ मारकर) लोगों के कुछ माल जानते-बूझते हड़प सको।
Alif Lam Mim Surah in Hindi रुकु 24
यस्अलून-क अनिल-अहिल्लति , कुल हि-य मवाकीतु लिन्नासि वल्-हज्जि , व लैसल्बिर्रू बि-अन्तअ्तुल-बुयू-त मिन् जुहूरिहा व ला किन्नल्बिर्- मनित्तका वअ्तुल्-बुयू-त मिन् अब्वाबिहा वत्तकुल्ला-ह लअल्लकुम् तुफ़्लिहून (189)
वे तुमसे (प्रतिष्ठित) महीनों के विषय में पूछते हैं। कहो, “वे तो लोगों के लिए और हज के लिए नियत हैं। और यह कोई ख़ूबी और नेकी नहीं है कि तुम घरों में उनके पीछे से आओ, बल्कि नेकी तो उसकी है जो (अल्लाह का) डर रखे। तुम घरों में उनके दरवाज़ों से आओ और अल्लाह से डरते रहो, ताकि तुम्हें सफलता प्राप्त हो।
व कातिलू फी सबीलिल्लाहिल्लज़ी-न युक़ातिलू-नकुम् व ला तअ्तदू , इन्नल्ला-ह ला युहिब्बुल – मुअ्तदीन (190)
और अल्लाह के मार्ग में उन लोगों से लड़ो जो तुमसे लड़ें, किन्तु ज़्यादती न करो। निस्संदेह अल्लाह ज़्यादती करनेवालों को पसन्द नहीं करता।
वक़्तुलूहुम् हैसू सकि़फ़्तुमूहुम् व अख्रिजूहुम मिन् हैसु अख्रजूकुम वल्फ़ित्नतु अशद्दु मिनल्-क़त्लि व ला तुकातिलूहुम् अिन्दल-मस्जिदिल्-हरामि हत्ता युकातिलूकुम फ़ीहि , फ़-इन् का तलूकुम् फ़क़्तुलूहुम् , कज़ालि-क जजा़उल-काफिरीन (191)
और जहाँ कहीं उनपर क़ाबू पाओ, क़त्ल करो और उन्हें निकालो जहाँ से उन्होंने तुम्हें निकाला है, इसलिए कि फ़ितना (उपद्रव) क़त्ल से भी बढ़कर गम्भीर है। लेकिन मस्जिदे-हराम (काबा) के निकट तुम उनसे न लड़ो जब तक कि वे स्वयं तुमसे वहाँ युद्ध न करें। अतः यदि वे तुमसे युद्ध करें तो उन्हें क़त्ल करो – ऐसे इनकारियों का ऐसा ही बदला है।
फ-इनिन्-तहौ फ़-इन्नल्ला-ह गफूरूर्रहीम (192)
फिर यदि वे बाज़ आ जाएँ तो अल्लाह भी क्षमा करनेवाला, अत्यन्त दयावान है।
व कातिलूहुम् हत्ता ला तकू-न फ़ित्नतुंव व यकूनद्दीनु लिल्लाहि , फ-इनिन्-तहौ फला अुद्वा-न इल्ला अलज़्-ज़ालिमीन (193)
तुम उनसे लड़ो यहाँ तक कि फ़ितना शेष न रह जाए और दीन (धर्म) अल्लाह के लिए हो जाए। अतः यदि वे बाज़ आ जाएँ तो अत्याचारियों के अतिरिक्त किसी के विरुद्ध कोई क़दम उठाना ठीक नहीं।
अश्शहरूल्-हरामु बिश्शह्रिल्-हरामि वल्-हुरूमातु किसासुन् , फ़-मनिअ्तदा अलैकुम् फअ्तदू अलैहि बिमिस्ति मअ्तदा अलैकुम् वत्तकुल्ला-ह वअ्लमू अन्नल्ला-ह म-अल्मुत्तक़ीन (194)
प्रतिष्ठित महीना बराबर है प्रतिष्ठित महिने के, और समस्त प्रतिष्ठाओं का भी बराबरी का बदला है। अतः जो तुमपर ज़्यादती करे, तो जैसी ज़्यादती वह तुम पर करे, तुम भी उसी प्रकार उससे ज़्यादती का बदला ले सकते हो। और अल्लाह का डर रखो और जान लो कि अल्लाह डर रखनेवालों के साथ है।
व अन्फ़िकू फ़ी सबीलिल्लाहि व ला तुल्कू बिऐदीकुम् इलत्तह्लु-कति , व अह्-सिनू इन्नल्ला-ह युहिब्बुल-मुहसिनीन (195)
और अल्लाह के मार्ग में ख़र्च करो और अपने ही हाथों से अपने-आपको तबाही में न डालो, और अच्छे से अच्छा तरीक़ा अपनाओ। निस्संदेह अल्लाह अच्छे से अच्छा काम करनेवालों को पसन्द करता है।
व अतिम्मुल्-हज्-ज वल्-अुमर-त लिल्लाहि , फ़-इन् उहसिरतुम् फ़-मस्तै-स-र मिनल-हदयि व ला तहलिकू़ रूऊ-सकुम् हत्ता यब्लुगल-हदयु महिल्लहू फ़-मन् का-न मिन्कुम् मरीज़न औ बिही अज़म्-मिर्रअ्सिही फ़-फिदयतुम्-मिन् सियामिन् औ स-द-क़तिन् औ नुसुकिन् फ़-इज़ा अमिन्तुम फ़-मन् तमत्त-अ बिल्-उम्रति इलल-हज्जि फ़-मस्तै-स-र मिनल-हद्-यि फ़-मल्लम् यजिद् फ़सियामु सलासति अय्यामिन् फिल्-हज्जि व सब्-अतिन् इज़ा रजअ्तुम , तिल-क अ-श-रतुन् कामि-लतुन् , ज़ालि-क लिमल्-लम् यकुन् अहलुहू हाज़िरिल्-मस्जिदिल हरामि , वत्तकुल्ला-ह वअ्लमू अन्नल्ला-ह शदीदुल-अिकाब (196)*
और हज और उमरा जो कि अल्लाह के लिए हैं, पूरे करो। फिर यदि तुम घिर जाओ तो जो क़ुरबानी उपलब्ध हो पेश कर दो। और अपने सिर न मूँडो जब तक कि क़ुरबानी अपने ठिकाने पर न पहुँच जाए, किन्तु जो व्यक्ति तुममें बीमार हो या उसके सिर में कोई तकलीफ़ हो तो रोज़े या सदक़ा या क़ुरबानी के रूप में फ़िदया देना होगा। फिर जब तुम पर से ख़तरा टल जाए, तो जो व्यक्ति हज तक उमरे से लाभान्वित हो, तो जो क़ुरबानी उपलब्ध हो पेश करे, और जिसको उपलब्ध न हो तो हज के दिनों में तीन दिन के रोज़े रखे और सात दिन के रोज़े जब तुम वापस हो, ये पूरे दस हुए। यह उसके लिए है जिसके बाल-बच्चे मस्जिदे-हराम के निकट न रहते हों। अल्लाह का डर रखो और भली-भाँति जान लो कि अल्लाह कठोर दंड देनेवाला है।
Alif Lam Mim Surah in Hindi रुकु 25
अल्हज्जु अश्हुरूम्-मअलूमातुन् फ-मन् फ़-र-ज़ फ़ीहिन्नल-हज़्-ज फला र-फ-स व ला फु-सू-क व ला जिदा-ल फ़िल्-हज्जि , व मा तफ्अलू मिन् खैरिय् यअ्लम्हुल्लाहु , व तज़व्वदू फ़-इन्-न खैरज्जादित्तक्वा वत्तकूनि या उलिल-अल्बाब (197)
हज के महीने जाने-पहचाने और निश्चित हैं, तो जो इनमें हज करने का निश्चय करे, तो हज में न तो काम-वासना की बातें हो सकती हैं और न अवज्ञा और न लड़ाई-झगड़े की कोई बात। और जो भलाई के काम भी तुम करोगे अल्लाह उसे जानता होगा। और (ईश-भय का) पाथेय ले लो, क्योंकि सबसे उत्तम पाथेय ईश-भय ही है। और ऐ बुद्धि और समझवालो! मेरा डर रखो।
लै-स अलैकुम् जुनाहुन् अन् तब्तगू फज्लम्-मिरब्बिकुम , फ़-इज़ा अफज्तुम् मिन् अ-रफ़ातिन् फज्कुरूल्ला-ह अिन्दल-मश्अ़रिल् हरामि वज्कुरुहू कमा हदाकुम् व इन् कुन्तुम् मिन् कब्लिही ल-मिनज्जाल्लीन (198)
इसमें तुम्हारे लिए कोई गुनाह नहीं कि अपने रब का अनुग्रह तलब करो। फिर जब तुम अरफ़ात से चलो तो ‘मशअरे-हराम’ (मुज़दल्फ़ा) के निकट ठहरकर अल्लाह को याद करो, और उसे याद करो जैसा कि उसने तुम्हें बताया है, और इससे पहले तुम पथभ्रष्ट थे।
सुम्-म अफ़ीजू मिन् हैसु अफ़ाज़न्नासु वस्तग् फिरूल्ला-ह , इन्नल्ला-ह गफूरूर्रहीम (199)
इसके पश्चात जहाँ से और सब लोग चलें, वहीं से तुम भी चलो, और अल्लाह से क्षमा की प्रार्थना करो। निस्संदेह अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है।
फ़-इज़ा क़जैतुम् मनासि-ककुम् फज्कुरूल्ला-ह क-ज़िक्रिकुम् आबा-अकुम् औ अशद्-द ज़िक्रन् , फ़-मिनन्नासि मंय्यकूलू रब्बना आतिना फ़िद्दुन्या व मा लहू फिल-आख़ि-रति मिन् ख़लाक़ (200)
फिर जब तुम अपनी हज सम्बन्धी रीतियों को पूरा कर चुको तो अल्लाह को याद करो जैसे अपने बाप-दादा को याद करते रहे हो, बल्कि उससे भी बढ़कर याद करो। फिर लोगों में कोई तो ऐसा है जो कहता है, “हमारे रब! हमें दुनिया ही में दे दे।” ऐसी हालत में आख़िरत में उसका कोई हिस्सा नहीं।
व मिन्हुम् मंय्यकूलु रब्बना आतिना फिद्दुन्या ह-स-नतंव व फ़िल्-आख़ि-रति ह-स-नतंव् व किना अज़ाबन्नार (201)
और उनमें कोई ऐसा है जो कहता है, “हमारे रब! हमें प्रदान कर दुनिया में भी अच्छी दशा और आख़िरत में भी अच्छी दशा, और हमें आग (जहन्नम) की यातना से बचा ले।”
उलाइ-क लहुम् नसीबुम् मिम्मा क-सबू , वल्लाहु सरीअुल हिसाब • (202)
ऐसे ही लोग हैं कि उन्होंने जो कुछ कमाया है उसका हिस्सा उनके लिए नियत है। और अल्लाह जल्द ही हिसाब चुकानेवाला है।
वज्कुरूल्ला-ह फी अय्यामिम् मअदूदातिन् फ़-मन् त-अज्ज-ल फ़ी यौमैनि फला इस्-म अलैहि व मन् त-अख्ख-र फ़ला इस्-म अलैहि लि-मनित्तका , वत्तकुल्ला-ह वअ्लमू अन्नकुम् इलैहि तुह्शरून (203)
और अल्लाह की याद में गिनती के ये कुछ दिन व्यतीत करो। फिर जो कोई जल्दी करके दो ही दिन में कूच करे तो इसमें उसपर कोई गुनाह नहीं। और जो ठहरा रहे तो इसमें भी उसपर कोई गुनाह नहीं। यह उसके लिेए है जो अल्लाह का डर रखे। और अल्लाह का डर रखो और जान रखो कि उसी के पास तुम इकट्ठा होगे।
व मिनन्नासि मंय्युअ्जिबु-क क़ौलुहू फ़िल्हयातिद्दुन्या व युश्हिदुल्ला-ह अला मा फी कल्बिही व हु-व अलद्दुल्-ख़िसाम (204)
लोगों में कोई तो ऐसा है कि इस सांसारिक जीवन के विषय में उसकी बात तुम्हें बहुत भाती है, उस (खोट) के बावजूद जो उसके दिल में होती है, वह अल्लाह को गवाह ठहराता है और झगड़े में वह बड़ा हठी है।
व इज़ा तवल्ला सआ़ फ़िल्अर्जि लियुफ्सि-द फ़ीहा व युहलिकल हर-स वन्-नस्-ल वल्लाहु ला युहिब्बुल फ़साद (205)
और जब वह लौटता है तो धरती में इसलिए दौड़-धूप करता है कि इसमें बिगाड़ पैदा करे और खेती और नस्ल को तबाह करे, जबकि अल्लाह बिगाड़ को पसन्द नहीं करता।
व इज़ा की-ल लहुत्तकिल्ला-ह अ-खज़त्हुल्-अिज्जतु बिल्-इस्मि फ़-हस्बुहू जहन्नमु , व लबिअ्सल्-मिहाद (206)
और जब उससे कहा जाता है, “अल्लाह से डर”, तो अहंकार उसे और गुनाह पर जमा देता है। अतः उसके लिए तो जहन्नम ही काफ़ी है, और वह बहुत-ही बुरा ठिकाना है।
व मिनन्नासि मंय्यशरी नफ़्सहुब्तिग़ा-अ मर्जातिल्लाहि , वल्लाहु रऊफुम् बिल-अिबाद (207)
और लोगों में वह भी है जो अल्लाह की प्रसन्नता के संसाधन की चाह में अपनी जान खपा देता है। अल्लाह भी अपने ऐसे बन्दों के प्रति अत्यन्त करुणाशील है।
या अय्युहल्लज़ी-न आमनुद्ख़ुलू फिस्सिल्मि काफ्फ़तंव व ला तत्तबिअू खुतुवातिश्शैतानि , इन्नहू लकुम अदुव्वुम्-मुबीन (208)
ऐ ईमान लानेवालो! तुम सब सुलह और शान्ति में दाख़िल हो जाओ और शैतान के पदचिन्हों पर न चलो। वह तो तुम्हारा खुला हुआ शत्रु है।
फ़-इन् जलल्तुम मिम्-बअ्दि मा जा अत्कुमुल्-बय्यिनातु फअ्लमू अन्नल्ला-ह अजीजु़न् हकीम (209)
फिर यदि तुम उन स्पष्ट दलीलों के पश्चात भी, जो तुम्हारे पास आ चुकी हैं, फिसल गए, तो भली-भाँति जान रखो कि अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है।
हल यन्जुरू-न इल्ला अंय्यअति-यहुमुल्लाहु फ़ी जु-ल-लिम् मिनल् – गमामि वल्-मलाइ-कतु व कुज़ियल्-अम्रू , व इलल्लाहि तुरजअुल-उमूर (210)*
क्या वे (इसराईल की सन्तान) बस इसकी प्रतीक्षा कर रहे हैं कि अल्लाह स्वयं बादलों की छायों में उनके सामने आ जाए और फ़रिश्ते भी, हालाँकि बात तय कर दी गई है? मामले तो अल्लाह ही की ओर लौटते हैं।
Alif Laam Meem Surah-2 रुकु 26
सल् बनी इस्राई-ल कम् आतैनाहुम् मिन् आयतिम् बय्यि-नतिन् , व मंय्युबद्दिल नि-मतल्लाहि मिम्-बअदि मा जाअत् हु फ-इन्नल्ला-ह शदीदुल अिकात (211)
इसराईल की सन्तान से पूछो, हमने उन्हें कितनी खुली-खुली निशानियाँ प्रदान कीं। और जो अल्लाह की नेमत को इसके बाद कि वह उसे पहुँच चुकी हो, बदल डाले, तो निस्संदेह अल्लाह भी कठोर दंड देनेवाला है।
जुय्यि-न लिल्लज़ी-न क-फरूल् हयातुद्दुन्या व यस्ख़रू-न मिनल्लज़ी-न आमनू • वल्लज़ीनत्तको फौ-क हुम् यौमल-कियामति , वल्लाहु यर्जुकु मंय्यशा-उ बिगैरि हिसाब (212)
इनकार करनेवाले सांसारिक जीवन पर रीझे हुए हैं और ईमानवालों का उपहास करते हैं, जबकि जो लोग अल्लाह का डर रखते हैं, वे क़ियामत के दिन उनसे ऊपर होंगे। अल्लाह जिसे चाहता है बेहिसाब देता है।
कानन्नासु उम्म-तंव-वाहि-दतन , फ-ब अ सल्लाहुन्नबिय्यी-न मुबश्शिरी-न व मुन्ज़िरी-न व अन्ज़-ल म-अहुमुल किता-ब बिल्हक्क़ि लियह्कु-म बैनन्नासि फ़ी मख़्त-लफू फ़ीहि , व मख्त-ल-फ़ फ़ीहि इल्लल्लज़ी-न ऊतूहु मिम्-बअदि मा जाअत्हुमुल बय्यिनातु बग्यम्-बैनहुम् फ़हदल्लाहुल्लज़ी-न आमनू लिमख़्त-लफू फ़ीहि मिनल-हक्कि बि-इज्निही , वल्लाहु यह्दी मंय्यशा-उ इला सिरातिम्-मुस्तकीम (213)
सारे मनुष्य एक ही समुदाय हैं (उन्होंने विभेद किया) तो अल्लाह ने नबियों को भेजा, जो शुभ-सूचना देनेवाले और डरानेवाले थे; और उनके साथ हक़ पर आधारित किताब उतारी, ताकि लोगों में उन बातों का जिनमें वे विभेद कर रहे हैं, फ़ैसला कर दे। इसमें विभेद तो बस उन्हीं लोगों ने, जिन्हें वह मिली थी, परस्पर ज़्यादती करने के लिए इसके पश्चात किया, जबकि खुली निशानियाँ उनके पास आ चुकी थीं। अतः ईमानवालों का अल्लाह ने अपनी अनुज्ञा से उस सत्य के विषय में मार्गदर्शन किया, जिसमें उन्होंने विभेद किया था। अल्लाह जिसे चाहता है, सीधे मार्ग पर चलाता है।
अम् हसिब्तुम् अन् तद्खुलुल्-जन्न-त व लम्मा यअ्तिकुम् म-स-लुल्लज़ी-न ख़लौ मिन् कब्लिकुम , मस्सत्हुमुल् बअ्सा-उ वज़्ज़र्रा-उ व जुल्जि़लू हत्ता यकूलर्-रसूलु वल्लज़ी-न आमनू म-अ़हू मता नस्-रूल्लाहि , अला इन्-न नस्-रल्लाहि करीब (214)
क्या (तुम सीधे रास्ते पर जमे रहोगे या) तुमने यह समझ रखा है कि जन्नत में प्रवेश पा जाओगे, जबकि अभी तुम पर वह सब कुछ नहीं बीता है जो तुमसे पहले के लोगों पर बीत चुका? उनपर तंगियाँ और तकलीफ़ें आईं और उन्हें हिला मारा गया, यहाँ तक कि रसूल और उसके साथ ईमानवाले भी बोल उठे कि अल्लाह की सहायता कब आएगी? जान लो! अल्लाह की सहायता निकट है।
यस्अलून-क माज़ा युन्फ़िकू-न , कुल मा अन्फ़क़्तुम् मिन् खौरिन् फ़-लिल्वालिदैनि वल-अक्रबी-न वल यतामा वल्मसाकीनि वनब्निस्सबीलि , व मा तफ्अलू मिन् खैरिन् फ़-इन्नल्ला-ह बिही अलीम (215)
वे तुमसे पूछते हैं, “कितना ख़र्च करें?” कहो, “(पहले यह समझ लो कि) जो माल भी तुमने ख़र्च किया है, वह तो माँ-बाप, नातेदारों और अनाथों और मुहताजों और मुसाफ़िरों के लिए ख़र्च हुआ है। और जो भलाई भी तुम करो, निस्संदेह अल्लाह उसे भली-भाँति जान लेगा।
कुति-ब अलैकुमुल् – कितालु व हु-व कुरहुल्लकुम् व असा अन् तक्रहू शैअंव-व हु-व खैरूल्लकुम् व असा अन् तुहिब्बू शैअंव – व हु-व शर्रूल्लकुम , वल्लाहु यअ्लमु व अन्तुम् ला तअ्लमून (216)*
तुम पर युद्ध अनिवार्य किया गया और वह तुम्हें अप्रिय है, और बहुत सम्भव है कि कोई चीज़ तुम्हें अप्रिय हो और वह तुम्हारे लिए अच्छी हो। और बहुत सम्भव है कि कोई चीज़ तुम्हें प्रिय हो और वह तुम्हारे लिए बुरी हो। और जानता अल्लाह है, और तुम नहीं जानते।”
Alif Lam Mim Surah in Hindi रुकु 27
यसूअलून-क अनिश्शहरिल-हरामि कितालिन् फ़ीहि , कुल कितालुन फ़ीहि कबीरून , व सद्दुन अन् सबीलिल्लाहि व कुफ्रूम् बिही वल्मस्जिदिल्-हरामि , व इख़राजु अहलिही मिन्हु अक्बरू अिन्दल्लाहि वल्-फ़ित्नतु अक्बरू मिनल्-कत्लि , व ला यज़ालू-न युक़ातिलू-नकुम् हत्ता यरूद्दूकुम् अन् दीनिकुम् इनिस्तताअू , व मंय्यर्-तदिद् मिन्कुम् अन् दीनिही फ़-यमुत् व हु-व काफिरून् फ़-उलाइ-क हबितत् अअ्मालुहुम् फिद्दुन्या वल् आखि-रति व उलाइ-क अस्हाबुन्नारि हुम् फ़ीहा ख़ालिदून (217)
वे तुमसे आदरणीय महीने में युद्ध के विषय में पूछते हैं। कहो, “उसमें लड़ना बड़ी गम्भीर बात है, परन्तु अल्लाह के मार्ग से रोकना, उसके साथ अविश्वास करना, मस्जिदे-हराम (काबा) से रोकना और उसके लोगों को उससे निकालना, अल्लाह की नज़र में इससे भी अधिक गम्भीर है और फ़ितना (उपद्रव), रक्तपात से भी बुरा है।” और उनका बस चले तो वे तो तुमसे बराबर लड़ते रहें, ताकि तुम्हें तुम्हारे दीन (धर्म) से फेर दें। और तुममें से जो कोई अपने दीन से फिर जाए और अविश्वासी होकर मरे, तो ऐसे ही लोग हैं जिनके कर्म दुनिया और आख़िरत में वबाल और आपदा हैं और वही आग (जहन्नम) में पड़नेवाले हैं, वे उसी में सदैव रहेंगे।
इन्नल्लजी-न आमनू वल्लज़ी-न हाजरू व जाहदू फ़ी सबीलिल्लाहि उलाइ-क यर्जू-न रहमतल्लाहि , वल्लाहु गफूरूर्रहीम (218)
रहे वे लोग जो ईमान लाए और जिन्होंने हिजरत की और (अल्लाह के मार्ग में घर-बार छोड़ा) और जिहाद किया, वही अल्लाह की दयालुता की आशा रखते हैं। निस्संदेह अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है।
यस्अलून-क अनिल-खम्रि वल-मैसिरि कुल फ़ीहिमा इस्मुन् कबीरूंव-व मनाफ़िअु लिन्नासि व इस्मुहुमा अक्बरू मिन्नफ्अिहिमा , व यस्अलून-क माज़ा युन्फ़िकू-न , कुलिल-अफ़-व कज़ालि-क युबय्यिनुल्लाहु लकुमुल्-आयाति लअल्लकुम् त-तफ़क्करून (219)
तुमसे शराब और जुए के विषय में पूछते हैं। कहो, “उन दोनों चीज़ों में बड़ा गुनाह है, यद्यपि लोगों के लिए कुछ फ़ायदे भी हैं, परन्तु उनका गुनाह उनके फ़ायदे से कहीं बढ़कर है।” और वे तुमसे पूछते हैं, “कितना ख़र्च करें?” कहो, “जो आवश्यकता से अधिक हो।” इस प्रकार अल्लाह दुनिया और आख़िरत के विषय में तुम्हारे लिए अपनी आयतें खोल-खोलकर बयान करता है, ताकि तुम सोच-विचार करो।
फ़िद्दुन्या वल्-आखि-रति व यस्अलून – क अनिल यतामा , कुल इस्लाहुल्लहुम् खैरून् , व इन् तुख़ालितूहुम् फ़-इख्वानुकुम , वल्लाहु , यअलमुल मुफ्सि-द मिनल-मुस्लिहि , व लौ शाअल्लाहु ल – अअ्न – तकुम , इन्नल्ला-ह अजीजुन हकीम (220)
और वे तुमसे अनाथों के विषय में पूछते हैं। कहो, “उनके सुधार की जो रीति अपनाई जाए अच्छी है। और यदि तुम उन्हें अपने साथ सम्मिलित कर लो तो वे तुम्हारे भाई-बन्धु ही हैं। और अल्लाह बिगाड़ पैदा करनेवाले को बनाव पैदा करनेवाले से अलग पहचानता है। और यदि अल्लाह चाहता तो तुमको ज़हमत (कठिनाई) में डाल देता। निस्संदेह अल्लाह प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है।”
व ला तन्किहुल मुश्रिकाति हत्ता युअमिन्-न व ल-अ-मतुम् मुअमि-नतुन् खैरूम्-मिम्-मुश्रि-कतिव् व लौ अअ्-जबत्कुम् व ला तुन्किहुल मुश्रिकी-न हत्ता युअ्मिनू , व ल-अब्दुम-मुअ्मिनुन् खैरूम् मिम्-मुश्रिकतिंव वलौ अअ्ज-बकुम , उलाइ-क यदअू-न इलन्नारि वल्लाहु यद्अू इलल-जन्नति वल-मग्फिरति बि-इज्निही व युबय्यिनु आयातिही लिन्नासि लअल्लहुम् य-तज़क्करून (221)*
और मुशरिक (बहुदेववादी) स्त्रियों से विवाह न करो जब तक कि वे ईमान न लाएँ। एक ईमानवाली बांदी (दासी), मुशरिक स्त्री से कहीं उत्तम है; चाहे वह तुम्हें कितनी ही अच्छी क्यों न लगे। और न (ईमानवाली स्त्रियों का) मुशरिक पुरुषों से विवाह करो, जब तक कि वे ईमान न लाएँ। एक ईमानवाला ग़ुलाम आज़ाद मुशरिक से कहीं उत्तम है, चाहे वह तुम्हें कितना ही अच्छा क्यों न लगे। ऐसे लोग आग (जहन्नम) की ओर बुलाते हैं और अल्लाह अपनी अनुज्ञा से जन्नत और क्षमा की ओर बुलाता है। और वह अपनी आयतें लोगों के सामने खोल-खोलकर बयान करता है, ताकि वे चेतें।
Alif Lam Mim Surah in Hindi रुकु 28
व यस्अलून-क अनिल-महीजि कुल हु-व अ-ज़न् फअ्तज़िलुन्निसा-अ फ़िल-महीजि वला तक्रबूहुन्-न हत्ता यत्हुर्-न फ़-इज़ा त-तह्हर् न फ़अ्तूहुन्-न मिन् हैसु अ-म-रकुमुल्लाहु , इन्नल्ला-ह युहिब्बुत्तव्वाबी-न व युहिब्बुल मु-त-तहिहरीन (222)
और वे तुमसे मासिक-धर्म के विषय में पूछते हैं। कहो, “वह एक तकलीफ़ और गन्दगी की चीज़ है। अतः मासिक-धर्म के दिनों में स्त्रियों से अलग रहो और उनके पास न जाओ, जबतक कि वे पाक-साफ़ न हो जाएँ। फिर जब वे भली-भाँति पाक-साफ़ हो जाएँ, तो जिस प्रकार अल्लाह ने तुम्हें बताया है, उनके पास आओ। निस्संदेह अल्लाह बहुत तौबा करनेवालों को पसन्द करता है और वह उन्हें पसन्द करता है जो स्वच्छता को पसन्द करते हैं।
निसाउकुम् हरसुल्लकुम् फ़अतू हर्सकुम् अन्ना शिअ्तुम् व क़द्दिमू लि-अन्फुसिकुम , वत्तकुल्ला-ह वअ्लमू अन्नकुम् मुलाकूहु , व बश्शिरिल्-मुअ्मिनीन (223)
तुम्हारी स्त्रियाँ तुम्हारी खेती हैं। अतः जिस प्रकार चाहो तुम अपनी खेती में आओ और अपने लिए आगे भेजो; और अल्लाह से डरते रहो; भली-भाँति जान लो कि तुम्हें उससे मिलना है; और ईमान लानेवालों को शुभ-सूचना दे दो।
व ला तज्अलुल्ला-ह अुर्-ज़तल् लिऐमानिकुम् अन् तबर्रू व तत्तकू व तुस्लिहू बैनन्नासि , वल्लाहु समीअुन अलीम (224)
अपने नेक और धर्मपरायण होने और लोगों के मध्य सुधारक होने के सिलसिले में अपनी क़समों के द्वारा अल्लाह को आड़ और निशाना न बनाओ कि इन कामों को छोड़ दो। अल्लाह सब कुछ सुनता, जानता है।
ला युआखिजु़कुमुल्लाहु बिल्लग्वि फ़ी ऐमानिकुम् व लाकिंय्युआख़िजुकुम बिमा क-सबत् कुलूबुकुम , वल्लाहु गफूरून् हलीम (225)
अल्लाह तुम्हें तुम्हारी ऐसी क़समों पर नहीं पकड़ेगा जो यूँ ही मुँह से निकल गई हों, लेकिन उन क़समों पर वह तुम्हें अवश्य पकड़ेगा जो तुम्हारे दिल के इरादे का नतीजा हों। अल्लाह बहुत क्षमा करनेवाला, सहनशील है।
लिल्लज़ी-न युअ्अू-न मिन्निसा-इहिम् तरब्बुसु अर्-ब-अति अश्हुरिन् फ़-इन् फाऊ फ़-इन्नल्ला-ह गफूरूर्रहीम (226)
जो लोग अपनी स्त्रियों से अलग रहने की क़सम खा बैठें, उनके लिए चार महीने की प्रतीक्षा है। फिर यदि वे पलट आएँ, तो अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है।
व इन् अ-जमुत्तला-क़ फ़-इन्नल्ला-ह समीअुन् अलीम (227)
और यदि वे तलाक़ ही की ठान लें, तो अल्लाह भी सुननेवाला भली-भाँति जाननेवाला है।
वल्मुतल्लकातु य-तरब्बस्-न बि-अन्फुसिहिन्-न सलास-त कुरूइन् , व ला यहिल्लु लहुन्-न अय्यक्तुम्-न मा ख़-लकल्लाहु फ़ी अरहामिहिन्-न इन् कुन्-न युअ्मिन्-न बिल्लाहि वल्यौमिल-आख़िरि , व बुअ-लतुहुन्-न अहक्कु बि-रद्दिहिन्-न फ़ी ज़ालि-क इन् अरादू इस्लाहन् , व लहुन्-न मिस्लुल्लज़ी अलैहिन्-न बिल्मअरूफ़ि व लिर्रिजालि अलैहिन्-न द-र-जतुन् , वल्लाहु अजीजुन् हकीम (228)*
और तलाक़ पाई हुई स्त्रियाँ तीन हैज़ (मासिक-धर्म) गुज़रने तक अपने-आप को रोके रखें, और यदि वे अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान रखती हैं तो उनके लिए यह वैध न होगा कि अल्लाह ने उनके गर्भाशयों में जो कुछ पैदा किया हो उसे छिपाएँ। इस बीच उनके पति, यदि सम्बन्धों को ठीक कर लेने का इरादा रखते हों, तो वे उन्हें लौटा लेने के ज़्यादा हक़दार हैं। और उन पत्नियों के भी सामान्य नियम के अनुसार वैसे ही अधिकार हैं, जैसी उन पर ज़िम्मेदारियाँ डाली गई हैं। और पतियों को उनपर एक दर्जा प्राप्त है। अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है।
Alif Laam Meem Surah-2 रुकु 29
अत्तलाकु मर्रतानि फ़-इम्साकुम् बिमअ्रूफिन् औ तसरीहुम् बि इह्सानिन् , व ला यहिल्लु लकुम् अन् तअ्खुजू मिम्मा आतैतुमूहुन्-न शैअन् इल्ला अंय्यख़ाफ़ा अल्ला युक़ीमा हुदूदल्लाहि , फ़-इन् ख़िफ्तुम् अल्ला युकीमा हुदूदल्लाहि फ़ला जुना-ह अलैहिमा फ़ीमफ्तदत् बिही , तिल-क हुदूदुल्लाहि फ़ला तअतदूहा व मय्य-तअद्-द हुदूदल्लाहि फ़-उलाइ-क हुमुज्जालिमून (229)
तलाक़ दो बार है। फिर सामान्य नियम के अनुसार (स्त्री को) रोक लिया जाए या भले तरीक़े से विदा कर दिया जाए। और तुम्हारे लिए वैध नहीं है कि जो कुछ तुम उन्हें दे चुके हो, उसमें से कुछ ले लो, सिवाय इस स्थिति के कि दोनों को डर हो कि वे अल्लाह की (निर्धारित) सीमाओं पर क़ायम न रह सकेंगे तो यदि तुमको यह डर हो कि वे अल्लाह की सीमाओं पर क़ायम न रहेंगे तो स्त्री जो कुछ देकर छुटकारा प्राप्त करना चाहे उसमें उन दोनो के लिए कोई गुनाह नहीं। ये अल्लाह की सीमाएँ हैं। अतः इनका उल्लंघन न करो। और जो कोई अल्लाह की सीमाओं का उल्लंघन करे तो ऐसे लोग अत्याचारी हैं।
फ़-इन् तल्ल-कहा फ़ला तहिल्लु लहू मिम्-बअदु हत्ता तन्कि-ह ज़ौजन् गैरहू , फ़-इन् तल्ल-कहा फला जुना-ह अलैहिमा अंय्य-तरा जआ इन् ज़न्ना अंगय्युकीमा हुदूदल्लाहि , व तिल-क हुदूदुल्लाहि युबय्यिनुहा लिकौमिंय्यअ्लमून (230)
(दो तलाक़ों के पश्चात) फिर यदि वह उसे तलाक़ दे दे, तो इसके पश्चात वह उसके लिए वैध न होगी, जब तक कि वह उसके अतिरिक्त किसी दूसरे पति से निकाह न कर ले। अतः यदि वह उसे तलाक़ दे दे तो फिर उन दोनों के लिए एक-दूसरे की ओर पलट आने में कोई गुनाह न होगा, यदि वे समझते हों कि अल्लाह की सीमाओं पर क़ायम रह सकते हैं। ये अल्लाह कि निर्धारित की हुई सीमाएँ हैं, जिन्हें वह उन लोगों के लिए बयान कर रहा है जो जानना चाहते हों।
व इज़ा तल्लक्तुमुन्निसा-अ फ़-बलग्-न अ-ज-लहुन्-न फ़-अम्सिकूहुन्-न बिमअ्रूफ़िन औ सर्रिहूहुन्-न बिमअ्रूफिंव्-व ला तुम्सिकूहुन्-न ज़िरारल् लितअ्-तदू व मंय्यफ्अल् ज़ालि-क फ़-कद् ज़-ल-म नफ्सहू , व ला तत्तखिजू आयातिल्लाहि हुजुवंव-वज्कुरू निअ्-मतल्लाहि अलैकुम् व मा अन्ज़-ल अलैकुम् मिनल-किताबि वल्हिक्मति यअिजुकुम् बिही , वत्तकुल्ला-ह वअ्लमू अन्नल्ला-ह बिकुल्लि शैइन् अलीम • (231)*
और जब तुम स्त्रियों को तलाक़ दे दो और वे अपनी निश्चित अवधि (इद्दत) को पहुँच जाएँ, तो सामान्य नियम के अनुसार उन्हें रोक लो या सामान्य नियम के अनुसार उन्हें विदा कर दो। और तुम उन्हें नुक़सान पहुँचाने के ध्येय से न रोको कि ज़्यादती करो। और जो ऐसा करेगा, तो उसने स्वयं अपने ही ऊपर ज़ुल्म किया। और अल्लाह की आयतों को परिहास का विषय न बनाओ, और अल्लाह की कृपा जो तुम पर हुई है उसे याद रखो और उस किताब और हिकमत (तत्वदर्शिता) को याद रखो जो उसने तुम पर उतारी है, जिसके द्वारा वह तुम्हें नसीहत करता है। और अल्लाह का डर रखो और भली-भाँति जान लो कि अल्लाह हर चीज़ को जाननेवाला है।
Alif Laam Meem Surah-2 रुकु 30
व इज़ा तल्लक्तुमुन्निसा-अ फ़-बलग्-न अ-ज लहुन्-न फला तअ् जुलूहुन्-न अंय्यन किह-न अज्चाजहुन्-न इज़ा तराज़ौ बैनहुम् बिल्मअरूफ़ि , ज़ालि-क यू-अजू बिही मन् का-न मिन्कुम् युअ्मिनु बिल्लाहि वल्यौमिल-आख़िरि , ज़ालिकुम् अज्का लकुम् व अत्हरू , वल्लाहु यअ्लमु व अन्तुम् ला तअलमून (232)
और जब तुम स्त्रियों को तलाक़ दे दो और वे अपनी निर्धारित अवधि (इद्दत) को पहुँच जाएँ तो उन्हें अपने होनेवाले दूसरे पतियों से विवाह करने से न रोको, जबकि वे सामान्य नियम के अनुसार परस्पर रज़ामन्दी से मामला तय करें। यह नसीहत तुममें से उसको की जा रही है जो अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान रखता है। यही तुम्हारे लिए ज़्यादा बरकतवाला और सुथरा तरीक़ा है। और अल्लाह जानता है, तुम नहीं जानते।
वल-वालिदातु युर ज़िअ्-न औलादहुन्-न हौलैनि कामिलैनि लि-मन् अरा-द अंय्यु तिम्मर्र जा-अ-त , व अलल्-मौलूदि लहू रिज्कुहुन्-न व किस्वतुहुन्-न बिल्मअरूफ़ि , ला तुकल्लफु नफ्सुन् इल्ला वुस्अहा ला तुज़ार-र वालि – दतुम् बि – व – लदिहा व ला मौलूदुल्लहू बि – व – लदिहा व अलल् – वारिसि मिस्लु ज़ालि – क फ़ – इन् अरादा फ़िसालन् अन् तराज़िम् मिन्हुमा व तशावुरिन् फला जुना – ह अलैहिमा , व इन् अरत्तुम अन् तस्तऱज़िअू औलादकुम् फ़ला जुना-ह अलैकुम् इज़ा सल्लम्तुम् मा आतैतुम् बिल्मअरूफ़ि , वत्तकुल्ला-ह वअ्लमू अन्नल्ला – ह बिमा तअमलू-न बसीर (233)
और जो कोई पूरी अवधि तक (बच्चे को) दूध पिलवाना चाहे तो माएँ अपने बच्चों को पूरे दो वर्ष तक दूध पिलाएँ। और वह जिसका बच्चा है, सामान्य नियम के अनुसार उनके खाने और उनके कपड़े का ज़िम्मेदार है। किसी पर बस उसकी अपनी समाई भर ही ज़िम्मेदारी है, न तो कोई माँ अपने बच्चे के कारण (बच्चे के बाप को) नुक़सान पहुँचाए और न बाप अपने बच्चे के कारण (बच्चे की माँ को) नुक़सान पहुँचाए। और इसी प्रकार की ज़िम्मेदारी उसके वारिस पर भी आती है। फिर यदि दोनों पारस्परिक स्वेच्छा और परामर्श से दूध छुड़ाना चाहें तो उनपर कोई गुनाह नहीं। और यदि तुम अपनी संतान को किसी अन्य स्त्री से दूध पिलवाना चाहो तो इसमें भी तुम पर कोई गुनाह नहीं, जबकि तुमने जो कुछ बदले में देने का वादा किया हो सामान्य नियम के अनुसार उसे चुका दो। और अल्लाह का डर रखो और भली-भाँति जान लो कि जो कुछ तुम करते हो, अल्लाह उसे देख रहा है।
वल्लज़ी – न यु – तवफ्फ़ौ – न मिन्कुम् व य – ज़रू – न अज्वाजंय्य – तरब्बस् – न बिअन्फुसिहिन् – न अर्ब – अ – त अश्हुरिवं – व अश्रन् फ़ – इज़ा बलग – न अ – ज – लहुन् – न फला जुना – ह अलैकुम् फ़ीमा फ़ – अल् – न फ़ी अन्फुसिहिन्-न बिल्मअरूफि , वल्लाहु बिमा तअ्मलू – न ख़बीर (234)
और तुममें से जो लोग मर जाएँ और अपने पीछे पत्नियाँ छोड़ जाएँ, तो वे पत्नियाँ अपने-आपको चार महीने और दस दिन तक रोके रखें। फिर जब वे अपनी निर्धारित अवधि (इद्दत) को पहुँच जाएँ, तो सामान्य नियम के अनुसार वे अपने लिए जो कुछ करें, उसमें तुमपर कोई गुनाह नहीं। जो कुछ तुम करते हो, अल्लाह उसकी ख़बर रखता है
व ला जुना – ह अलैकुम फ़ीमा अर्रज्तुम् बिही मिन् ख़ित्बतिन्निसा – इ औ अक्नन्तुम् फी अन्फु सिकुम , अलिमल्लाहु अन्नकुम् स – तज्कुरूनहुन् – न व लाकिल्ला तुवाअिदूहुन् – न सिर्रन् इल्ला अन् तकूलू कौलम् – मअ्रूफ़न् , व ला तअ्ज़िमू अुक्दतन्निकाहि हत्ता यब्लुगल – किताबु अ – ज लहू , वअलमू अन्नल्ला – ह यअ्लमु मा फ़ी अन्फुसिकुम् फ़ह् – ज़रूहु वअ्लमू अन्नल्ला – गफूरून् हलीम (235)*
और इसमें भी तुम पर कोई गुनाह नहीं कि तुम उन औरतों को विवाह के सन्देश सांकेतिक रूप से दो या अपने मन में छिपाए रखो। अल्लाह जानता है कि तुम उन्हें याद करोगे, परन्तु छिपकर उन्हें वचन न देना, सिवाय इसके कि सामान्य नियम के अनुसार कोई बात कह दो। और जब तक निर्धारित अवधि (इद्दत) पूरी न हो जाए, विवाह का नाता जोड़ने का निश्चय न करो। जान रखो कि अल्लाह तुम्हारे मन की बात भी जानता है। अतः उससे सावधान रहो और यह भी जान लो कि अल्लाह अत्यन्त क्षमा करनेवाला, सहनशील है।
Alif Lam Mim Surah in Hindi रुकु 31
ला जुना – ह अलैकुम् इन् तल्लक्तुमुन्निसा – अ मा लम् तमस्सूहुन् – न औ तफ़िरजू लहुन् – न फ़री – ज़ तंव – व मत्तिअ़ू हुन् – न अलल् – मूसिअि क़ – दरूहू व अलल् – मुक्तिरि क़ – दरूहू मताअम् बिल्मअ्रूफ़ि हक्कन् अलल – मुह्सिनीन (236)
यदि तुम स्त्रियों को इस स्थिति मे तलाक़ दे दो कि यह नौबत पेश न आई हो कि तुमने उन्हें हाथ लगाया हो और उनका कुछ हक़ (मह्र) निश्चित किया हो, तो तुमपर कोई भार नहीं। हाँ, सामान्य नियम के अनुसार उन्हें कुछ ख़र्च दो – समाई रखनेवाले पर उसकी अपनी हैसियत के अनुसार और तंगदस्त पर उसकी अपनी हैसियत के अनुसार अनिवार्य है – यह अच्छे लोगों पर एक हक़ है।
व इन् तल्लक्तुमूहुन् – न मिन् कब्लि अन् तमस्सूहुन् – न व कद् फ़रज्तुम् लहुन् – न फ़री – जतन् फ़ – निस्फु मा फ़रज्तुम् इल्ला अंय्यअ्फू – न औ यअ्फुवल्लज़ी बि – यदिही उक्दतुन्निकाहि , व अन् तअफू अक़्रबु लित्तक्वा , व ला तन्सवुल – फ़ज़ – ल बैनकुम , इन्नल्ला – ह बिमा तअ्मलू – न बसीर (237)
और यदि तुम उन्हें हाथ लगाने से पहले तलाक़ दे दो, किन्तु उसका मह्र निश्चित कर चुके हो, तो जो मह्र तुमने निश्चित किया है उसका आधा अदा करना होगा, यह और बात है कि वे स्वयं छोड़ दें या पुरुष जिसके हाथ में विवाह का सूत्र है, वह नर्मी से काम ले (और मह्र पूरा अदा कर दे)। और यह कि तुम नर्मी से काम लो तो यह परहेज़गारी से ज़्यादा क़रीब है और तुम एक-दूसरे को हक़ से बढ़कर देना न भूलो। निश्चय ही अल्लाह उसे देख रहा है, जो कुछ तुम करते हो।
हाफ़िजू अलस् स – ल – वाति वस्सलातिल – वुस्ता व कूमू लिल्लाहि कानितीन (238)
सदैव नमाज़ों की और अच्छी नमाज़ की पाबन्दी करो, और अल्लाह के आगे पूरे विनीत और शान्तभाव से खड़े हुआ करो।
फ़ – इन् खिफ्तुम् फ़ – रिजालन् औ रूक्बानन् फ़ – इज़ा अमिन्तुम् फ़ज्कुरूल्ला – ह कमा अल् – ल – म – कुम् मा लम् तकूनू तअ्लमून (239)
फिर यदि तुम्हें (शत्रु आदि का) भय हो, तो पैदल या सवार जिस तरह सम्भव हो नमाज़ पढ़ लो। फिर जब निश्चिन्त हो तो अल्लाह को उस प्रकार याद करो जैसा कि उसने तुम्हें सिखाया है, जिसे तुम नहीं जानते थे।
वल्लज़ी – न यु – तवफ्फ़ौ – न मिन्कुम् व य – ज़ – रू – न अज्वाजंव् – वसिय्यतल् लि – अज्वाजिहिम् मताअन् इलल – हौलि गै – र इख्राजिन् फ़ – इन ख़रज् – न फ़ला जुना – ह अलैकुम् फी मा फ़ – अल् – न फ़ी अन्फुसिहिन् – न मिम् – मअरूफ़िन् , वल्लाहु अज़ीजुन हकीम (240)
और तुममें से जिन लोगों की मृत्यु हो जाए और अपने पीछे पत्नियाँ छोड़ जाएँ, अर्थात अपनी पत्नियों के हक़ में यह वसीयत छोड़ जाएँ कि घर से निकाले बिना एक वर्ष तक उन्हें ख़र्च दिया जाए, तो यदि वे निकल जाएँ तो अपने लिए सामान्य नियम के अनुसार वे जो कुछ भी करें उसमें तुम्हारे लिए कोई दोष नहीं। अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है।
व लिल्मुतल्लकाति मताअुम् बिलमअरूफ़ि , हक्कन अलल मुत्तकीन (241)
और तलाक़ पाई हुई स्त्रियों को सामान्य नियम के अनुसार (इद्दत की अवधि में) ख़र्च भी मिलना चाहिए। यह डर रखनेवालों पर एक हक़ है।
कज़ालि – क युबय्यिनुल्लाहु लकुम् आयातिही लअल्लकुम् तअ्किलून (242)*
इस प्रकार अल्लाह तुम्हारे लिए अपनी आयतें खोलकर बयान करता है, ताकि तुम समझ से काम लो।
Alif Laam Meem Surah-2 रुकु 32
अलम् त – र इलल्लज़ी – न ख़ – रजू मिन् दियारिहिम् व हुम् उलूफुन् ह – ज़रल्मौति फ़का – ल लहुमुल्लाहु मूतू सुम् – म अह्याहुम , इन्नल्ला – ह लजू फ़ज्लिन् अलन्नासि व लाकिन् – न अक्सरन्नासि ला यश्कुरून (243)
क्या तुमने उन लोगों को नहीं देखा जो हज़ारों की संख्या में होने पर भी मृत्यु के भय से अपने घर-बार छोड़कर निकले थे? तो अल्लाह ने उनसे कहा, “मृत्यु प्राय हो जाओ तुम।” फिर उसने उन्हें जीवन प्रदान किया। अल्लाह तो लोगों के लिए उदार अनुग्राही है, किन्तु अधिकतर लोग कृतज्ञता नहीं दिखलाते।
व कातिलू फी सबीलिल्लाहि वअ्लमू अन्नल्ला – ह समीअ़ुन् अलीम (244)
और अल्लाह के मार्ग में युद्ध करो और जान लो कि अल्लाह सब कुछ सुननेवाला, जाननेवाले है।
मन् ज़ल्लजी युक़्रिजुल्ला – ह कर्जन् ह – सनन् फ़ – युज़ाअि – फहू लहू अज्आफन् कसीर – तन् , वल्लाहु यक्बिजु व यब्सुतु व इलैहि तुर्ज़अून (245)
कौन है जो अल्लाह को अच्छा ऋण दे कि अल्लाह उसे उसके लिए कई गुना बढ़ा दे? और अल्लाह ही तंगी भी देता है और कुशादगी भी प्रदान करता है, और उसी की ओर तुम्हें लौटना है।
अलम् त – र इलल – म – लइ मिम् – बनी इस्राई – ल मिम् – बअ्दि मूसा • इज़ कालू लि – नबिय्यिल् – लहुमुब्अस् लना मलिकन्नुक़ातिल फी सबीलिल्लाहि , का – ल हल असैतुम् इन् कुति – ब – अलैकुमुल् – कितालु अल्ला तुक़ातिलू , कालू व मा लना अल्ला नुक़ाति – ल फ़ी सबीलिल्लाहि व कद् उख्रिज्ना मिन् दियारिना व अब्ना – इना , फ़ – लम्मा कुति – ब अलैहिमुल् – कितालु तवल्लौ इल्ला क़लीलम् मिन्हुम , वल्लाहु अलीमुम् – बिज्जालिमीन (246)
क्या तुमने मूसा के पश्चात इसराईल की सन्तान के सरदारों को नहीं देखा, जब उन्होंने अपने एक नबी से कहा, “हमारे लिए एक सम्राट नियुक्त कर दो ताकि हम अल्लाह के मार्ग में युद्ध करें?” उसने कहा, “यदि तुम्हें लड़ाई का आदेश दिया जाए तो क्या तुम्हारे बारे में यह सम्भावना नहीं है कि तुम न लड़ो?” वे कहने लगे, “हम अल्लाह के मार्ग में क्यों न लड़ें, जबकि हम अपने घरों से निकाल दिए गए हैं और अपने बाल-बच्चों से भी अलग कर दिए गए हैं?” – फिर जब उनपर युद्ध अनिवार्य कर दिया गया तो उनमें से थोड़े लोगों के सिवा सब फिर गए। और अल्लाह ज़ालिमों को भली-भाँति जानता है। –
व का – ल लहुम् नबिय्युहुम् इन्नल्ला – ह कद् ब – अ – स लकुम् तालू – त मलिकन् , कालू अन्ना यकूनु लहुल्मुल्कु अलैना व नह्नु अहक्कु बिल्मुल्कि मिन्हु व लम् युअ – त स – अतम् मिनल – मालि , का – ल इन्नल्लाहस्तफ़ाहु अलैकुम् व ज़ा – दहू बस्त – तन् फ़िल – इल्मि वल् – जिस्मि , वल्लाहु युअ्ती मुल्कहू मंय्यशा – उ , वल्लाहु वासिअुन् अलीम (247)
उनके नबी ने उनसे कहा, “अल्लाह ने तुम्हारे लिए तालूत को सम्राट नियुक्त किया है।” बोले, “उसकी बादशाही हम पर कैसे हो सकती है, जबकि हम उसके मुक़ाबले में बादशाही के ज़्यादा हक़दार हैं और जबकि उसे माल की कुशादगी भी प्राप्त नहीं है?” उसने कहा, “अल्लाह ने तुम्हारे मुक़ाबले में उसको ही चुना है और उसे ज्ञान में और शारीरिक क्षमता में ज़्यादा कुशादगी प्रदान की है। अल्लाह जिसको चाहे अपना राज्य प्रदान करे। और अल्लाह बड़ी समाईवाला, सर्वज्ञ है।”
व का – ल लहुम् नबिय्युहुम् इन् – न आय – त मुल्किही अंय्यअ्ति – यकुमुत्ताबूतु फ़ीहि सकीनतुम् मिर्रब्बिकुम् व बकिय्यतुम् मिम्मा त – र – क आलु मूसा व आलु हारू – न तहिमलुहुल् – मलाइ – कतु , इन्न फ़ी जालि – क लआ – यतल्लकुम् इन् कुन्तुम् मुअमिनीन (248)*
उनके नबी ने उनसे कहा, “उसकी बादशाही की निशानी यह है कि वह संदूक़ तुम्हारे पास आ जाएगा, जिसमें तुम्हारे रब की ओर से सकीनत (प्रशान्ति) और मूसा के लोगों और हारून के लोगों की छोड़ी हुई यादगारें हैं, जिसको फ़रिश्ते उठाए हुए होंगे। यदि तुम ईमानवाले हो तो निस्संदेह इसमें तुम्हारे लिए बड़ी निशानी है।”
Alif Lam Mim Surah in Hindi रुकु 33
फ लम्मा फ़ – स – ल – तालूतु बिल्जुनूदि का – ल इन्नल्ला – ह मुब्तलीकुम बि – न हरिन् फ़ – मन् शरि – ब मिन्हु फलै – स मिन्नी व मल्लम् यत्अमहु फ़ – इन्नहू मिन्नी इल्ला मनिग्त – र – फ़ गुर् – फ़तम् बि – यदिही फ़ – शरिबू मिन्हु इल्ला क़लीलम् मिन्हुम , फ़ – लम्मा जा – व ज़हू हु – व वल्लज़ी – न आमनू म-अहू कालू ला ता – क – त लनल् – यौ – म बिजालू – त व जुनूदिही , कालल्लज़ी – न यजुन्नू – न अन्नहुम् मुलाकुल्लाहि कम् मिन फ़ि – अतिन् कलीलतिन् ग – लबत् फ़ि – अतन् कसी – रतम् बि – इज्निल्लाहि , वल्लाहु म – अस्साबिरीन (249)
फिर जब तालूत सेनाएँ लेकर चला तो उसने कहा, “अल्लाह निश्चित रूप से एक नदी द्वारा तुम्हारी परीक्षा लेनेवाला है। तो जिसने उसका पानी पी लिया, वह मुझमें से नहीं है और जिसने उसको नहीं चखा, वही मुझमें से है। यह और बात है कि कोई अपने हाथ से एक चुल्लू भर ले ले।” फिर उनमें से थोड़े लोगों के सिवा सभी ने उसका पानी पी लिया। फिर जब तालूत और ईमानवाले जो उसके साथ थे नदी पार कर गए तो कहने लगे, “आज हममें जालूत और उसकी सेनाओं का मुक़ाबला करने की शक्ति नहीं है।” इस पर उन लोगों ने, जो समझते थे कि उन्हें अल्लाह से मिलना है, कहा, “कितनी ही बार एक छोटी-सी टुकड़ी ने अल्लाह की अनुज्ञा से एक बड़े गरोह पर विजय पाई है। अल्लाह तो जमने वालों के साथ है।”
व लम्मा ब – रजू लिजालू – त व जुनूदिही कालू रब्बना अफ्रिग अलैना सबरंव – व सब्बित् अक्दामना वन्सुरना अलल् – कौमिल् काफ़िरीन (250)
और जब वे जालूत और उसकी सेनाओं के मुक़ाबले पर आए तो कहा, “ऐ हमारे रब! हमपर धैर्य उंडेल दे और हमारे क़दम जमा दे और इनकार करनेवाले लोगों पर हमें विजय प्रदान कर।”
फ – ह – ज़मूहुम् बि – इज्निल्लाहि व क – त – ल दावूदु जालू – त व आताहुल्लाहुल – मुल् – क वल् – हिक्म – त व अल्ल – महू मिम्मा यशा – उ , व लौ ला दफ़्अुल्लाहिन्ना – स बअ् – ज़हुम् बिबअ्ज़िल ल – फ – स – दतिल – अर्जु व लाकिन्नल्ला – ह जू फज्लिन् अलल – आलमीन (251)
अन्ततः अल्लाह की अनुज्ञा से उन्होंने उनको पराजित कर दिया और दाऊद ने जालूत को क़त्ल कर दिया, और अल्लाह ने उसे राज्य और तत्वदर्शिता (हिकमत) प्रदान की, जो कुछ वह (दाऊद) चाहे, उससे उसको अवगत कराया। और यदि अल्लाह मनुष्यों के एक गरोह को दूसरे गरोह के द्वारा हटाता न रहता तो धरती की व्यवस्था बिगड़ जाती, किन्तु अल्लाह संसारवालों के लिए उदार अनुग्राही है।
तिल – क आयातुल्लाहि नत्लूहा अलै – क बिल्हक्कि , व इन्न – क ल – मिनल – मुरसलीन (252)
ये अल्लाह की सच्ची आयतें हैं जो हम तुम्हें (सोद्देश्य) सुना रहे हैं और निश्चय ही तुम उन लोगों में से हो, जो रसूल बनाकर भेजे गए हैं।
तिल्कर्रूसुलु फज्ज़ल्ना बअ् – ज़हुम अला बअ्ज़िन् • मिन्हुम् मन् कल्लमल्लाहु व र – फ – अ बअ् – जहुम द रजातिन् , व आतैना अीसब् – न मर्यमल – बय्यिनाति व अय्यद्नाहु बिरूहिल्कुदुसि , व लौ शाअल्लाहु मक्त – तलल्लज़ी – न मिम् – बअदिहिम् मिम् – बअ़दि मा जाअतहुमुल बय्यिनातु व लाकिनिख़्त – लफू फ़ – मिन्हुम् मन् आम – न व मिन्हुम् मन् क – फ़ – र , व लौ शाअल्लाहु मक्त – तलू , व लाकिन्नल्ला – ह यफ्अलु _ मा युरीद (253)*
ये रसूल ऐसे हुए हैं कि इनमें हमने कुछ को कुछ पर श्रेष्ठता प्रदान की। इनमें कुछ से तो अल्लाह ने बातचीत की और इनमें से कुछ को दर्जों के एतिबार से उच्चता प्रदान की। और मरयम के बेटे ईसा को हमने खुली निशानियाँ दीं और पवित्र आत्मा से उसकी सहायता की। और यदि अल्लाह चाहता तो वे लोग, जो उनके पश्चात हुए, खुली निशानियाँ पा लेने के बाद परस्पर न लड़ते। किन्तु वे विभेद में पड़ गए तो उनमें से कोई तो ईमान लाया और उनमें से किसी ने इनकार की नीति अपनाई। और यदि अल्लाह चाहता तो वे परस्पर न लड़ते, परन्तु अल्लाह जो चाहता है, करता है।
Alif Laam Meem Surah-2 रुकु 34
या अय्युहल्लज़ी – न आमनू अन्फिकू मिम्मा र – ज़क्नाकुम् मिन् कब्लि अंय्यअ्ति – य यौमुल्ला बैअुन् फीहि व ला खुल्लतुंव – व ला शफाअतुन , वल – काफ़िरू – न हुमुज्जालिमून (254)
ऐ ईमान लानेवालो! हमने जो कुछ तुम्हें प्रदान किया है उसमें से (नेक कामों में) ख़र्च करो, इससे पहले कि वह दिन आ जाए जिसमें न कोई क्रय-विक्रय होगा और न कोई मित्रता होगी और न कोई सिफ़ारिश। ज़ालिम वही हैं, जिन्होंने इनकार की नीति अपनाई है।
अल्लाहु ला इला – ह इल्ला हु – व अल् – हय्युल – कय्यूमु ला तअ्खुजुहू सि – नतुंव – व ला नौमुन् , लहू मा फिस्समावाति व मा फिल्अर्जि , मन् जल्लज़ी यश्फ़अु अिन्दहू इल्ला बि – इज्निही , यअ्लमु मा बै – न ऐदीहिम व मा खल्फहुम व ला युहीतू – न बिशैइम् मिन् अिल्मिही इल्ला बिमा शा – अ वसि – अ कुर्सिय्यूहुस्समावाति वल्अर् – ज़ व ला यऊदुहू हिफ्जुहुमा व हुवल् अलिय्युल अजीम (255)
अल्लाह कि जिसके सिवा कोई पूज्य-प्रभु नहीं, वह जीवन्त-सत्ता है, सबको सँभालने और क़ायम रखनेवाला है। उसे न ऊँघ लगती है और न निद्रा। उसी का है जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है। कौन है जो उसके यहाँ उसकी अनुमति के बिना सिफ़ारिश कर सके? वह जानता है जो कुछ उनके आगे है और जो कुछ उनके पीछे है। और वे उसके ज्ञान में से किसी चीज़ पर हावी नहीं हो सकते, सिवाय उसके जो उसने चाहा। उसकी कुर्सी (प्रभुता) आकाशों और धरती को व्याप्त है और उनकी सुरक्षा उसके लिए तनिक भी भारी नहीं और वह उच्च, महान है।
ला इक्रा – ह फिद्दीनि कत्तबय्यन र्रूश्दु मिनल – गय्यि फ़ – मंय्यक्फुर बित्तागूति व युअ्मिम् – बिल्लाहि फ – क . दि स् त म स – क बिल् – अुर्वतिल – वुस्का लन्फ़िसा – म लहा , वल्लाहु समीअुन् , अलीम (256)
धर्म के विषय में कोई ज़बरदस्ती नहीं। सही बात नासमझी की बात से अलग होकर स्पष्ट हो गई है। तो अब जो कोई बढ़े हुए सरकश को ठुकरा दे और अल्लाह पर ईमान लाए, उसने ऐसा मज़बूत सहारा थाम लिया जो कभी टूटनेवाला नहीं। अल्लाह सब कुछ सुनने, जाननेवाला है।
अल्लाहु वलिय्युल्लज़ी – न आमनू युख्रिजुहम् मिनज्जुलुमाति इलन्नूरि , वल्लज़ी – न क – फरू औलिया उहुमुत्तागूतु युख्रिजू – नहुम् मिनन्नूरि इलज्जुलुमाति , उलाइ – क अस्हाबुन्नारि हुम् फ़ीहा खालिदून (257)*
जो लोग ईमान लाते हैं, अल्लाह उनका रक्षक और सहायक है। वह उन्हें अँधेरों से निकालकर प्रकाश की ओर ले जाता है। रहे वे लोग जिन्होंने इनकार किया तो उनके संरक्षक बढ़े हुए सरकश हैं। वे उन्हें प्रकाश से निकालकर अँधेरों की ओर ले जाते हैं। वही आग (जहन्नम) में पड़नेवाले हैं। वे उसी में सदैव रहेंगे।
Alif Lam Mim Surah in Hindi रुकु 35
अलम् त – र इलल्लज़ी हाज् – ज इब्राही – म फी रब्बिही अन् आताहुल्लाहुल – मुल्क • इज् का – ल इब्राहीमु रब्बियल्लज़ी युह्-यी व युमीतु का – ल अ – न उह-यी व उमीतु , का – ल इब्राहीमु फ़ – इन्नल्ला – ह यअ्ती बिश्शम्सि मिनल्मशिरकि फअ्ति बिहा मिनल् – मग्रिबि फ़ – बुहितल्लज़ी क – फ – र , वल्लाहु ला यहिदल कौमज्ज़ालिमीन (258)
क्या तुमने उसको नहीं देखा, जिसने इबराहीम से उसके ‘रब’ के सिलसिले में झगड़ा किया था, इस कारण कि अल्लाह ने उसको राज्य दे रखा था? जब इबराहीम ने कहा, “मेरा ‘रब’ वह है जो जिलाता और मारता है।” उसने कहा, “मैं भी तो जिलाता और मारता हूँ।” इबराहीम ने कहा, “अच्छा तो अल्लाह सूर्य को पूरब से लाता है, तो तू उसे पश्चिम से ले आ।” इसपर वह अधर्मी चकित रह गया। अल्लाह ज़ालिम लोगों को सीधा मार्ग नहीं दिखाता।
औ कल्लज़ी मर् – र अला कर्यतिंव् – व हि – य ख़ावि – यतुन् अला अुरूशिहा का – ल अन्ना युह्-यी हाज़िहिल्लाहु बअ् – द मौतिहा फ़ – अमातहुल्लाहु मि – अ – त आमिन् सुम् – म ब – अ – सहू , का – ल कम लबिस् – त , का – ल लबिस्तु यौमन् औ बअ् – ज़ यौमिन् , का – ल बल्लबिस – त मि – अ – त आमिन फन्जुर इला तआमि – क व शराबि – क लम् य – तसन्नह् वन्जुर् इला हिमारि – क व लि – नज्अ – ल – क आयतल लिन्नासि वन्जुर् इलल् – अिज़ामि कै – फ नुन्शिजुहा सुम्-म नक्सूहा लहमन् , फ़ – लम्मा तबय्य – न लहू का – ल अअ्लमु अन्नल्ला – ह अला कुल्लि शैइन् कदीर (259)
या उस जैसे (व्यक्ति) को नहीं देखा, जिसका एक ऐसी बस्ती पर से गुज़र हुआ, जो अपनी छतों के बल गिरी हुई थी। उसने कहा, “अल्लाह इसके विनष्ट हो जाने के पश्चात इसे किस प्रकार जीवन प्रदान करेगा?” तो अल्लाह ने उसे सौ वर्ष की मृत्यु दे दी, फिर उसे उठा खड़ा किया। कहा, “तू कितनी अवधि तक इस अवस्था में रहा।” उसने कहा, “मैं एक दिन या दिन का कुछ हिस्सा रहा।” कहा, “नहीं, बल्कि तू सौ वर्ष रहा है। अब अपने खाने और पीने की चीज़ों को देख ले, उन पर समय का कोई प्रभाव नहीं, और अपने गधे को भी देख, और यह इसलिए कह रहे हैं ताकि हम तुझे लोगों के लिए एक निशानी बना दें और हड्डियों को देख कि किस प्रकार हम उन्हें उभारते हैं, फिर उनपर मांस चढ़ाते हैं।” तो जब वास्तविकता उस पर प्रकट हो गई तो वह पुकार उठा, “मैं जानता हूँ कि अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है।”
व इज् का – ल इब्राहीमु रब्बि अरिनी कै – फ़ तुहियल्मौता , का – ल अ – व लम् तुअ्मिन , का – ल बला व लाकिल्लियत मइन् – न कल्बी , का – ल फ़ – खुजू अर्ब – अतम् मिनत्तैरि फ़सुरहुन् – न इलै – क सुम्मज्अल अला कुल्लि ज – बलिम् मिन्हुन् – न जुज्अन् सुम्मद् हुन् – न यअ्ती – न – क सअ्यन् , वअ्लम् अन्नल्ला – ह अज़ीजुन् हकीम (260)*
और याद करो जब इबराहीम ने कहा, “ऐ मेरे रब! मुझे दिखा दे, तू मुर्दों को कैसे जीवित करेगा?” (रब ने) कहा,” क्या तुझे विश्वास नहीं?” उसने कहा, “क्यों नहीं, किन्तु यह निवेदन इसलिए है कि मेरा दिल संतुष्ट हो जाए।” (रब ने) कहा, “अच्छा, तो चार पक्षी ले, फिर उन्हें अपने साथ भली-भाँति हिला-मिला ले, फिर उनमें से प्रत्येक को एक-एक पर्वत पर रख दे, फिर उनको पुकार, वे तेरे पास लपककर आएँगे। और जान ले कि अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है।”
Alif Laam Meem Surah-2 रुकु 36
म – सलुल्लज़ी – न युन्फ़ि कू – न अम्वालहुम फी सबीलिल्लाहि क – म सलि हब्बतिन् अम्ब – तत् सबू – अ सनाबि – ल फ्री कुल्लि सुम्बुलतिम् मि – अतु हब्बतिन् , वल्लाहु युज़ाअिफु लिमंय्यशा – उ , वल्लाहु वासिअुन् अलीम (261)
जो लोग अपने माल अल्लाह के मार्ग में ख़र्च करते हैं, उनकी उपमा ऐसी है, जैसे एक दाना हो, जिससे सात बालें निकलें और प्रत्येक बाल में सौ दाने हों। अल्लाह जिसे चाहता है बढ़ोतरी प्रदान करता है। अल्लाह बड़ी समाईवाला, जाननेवाला है।
अल्लज़ी – न युन्फ़िकू – न अम्वालहुम् फ़ी सबीलिल्लाहि सुम् – म ला युत्बिअू – न मा अन्फ़कू मन्नंव – व ला अ – ज़ल लहुम् अजरूहुम् अिन् – द रब्बिहिम् व ला ख़ौफुन् अलैहिम् व ला हुम् यह्ज़नून (262)
जो लोग अपने माल अल्लाह के मार्ग में ख़र्च करते हैं, फिर ख़र्च करके उसका न एहसान जताते हैं और न दिल दुखाते हैं, उनका बदला उनके अपने रब के पास है। और न तो उनके लिए कोई भय होगा और न वे दुखी होंगे।
कौलुम मअ्रूफुंव – व मग्फ़ि – रतुन् खैरूम् मिन् स – द – क़तिंय् – यत्बअुहा अज़न् , वल्लाहु ग़निय्युन् हलीम (263)
एक भली बात कहनी और क्षमा से काम लेना उस सदक़े से अच्छा है, जिसके पीछे दुख हो। और अल्लाह अत्यन्त निस्पृह (बेनियाज़), सहनशील है।
या अय्युहल्लज़ी – न आमनू ला तुब्तिलू स – दक़ातिकुम् बिल्मन्नि वल् – अज़ा कल्लज़ी युन्फिकु मालहू रिआ – अन्नासि व ला युअ्मिनु बिल्लाहि वल् – यौमिल् – आखिरि , फ़ – म – सलुहू क – म – सलि सफ्वानिन् अलैहि तुराबुन् फ़ – असाबहू वाबिलुन् फ़ – त – र – कहू सल्दन् , ला यक्दिरू – न अला शैइम् मिम्मा क – सबू , वल्लाहु ला यह्दिल् – कौमल् काफ़िरीन (264)
ऐ ईमानवालो! अपने सदक़ों को एहसान जताकर और दुख देकर उस व्यक्ति की तरह नष्ट न करो जो लोगों को दिखाने के लिए अपना माल ख़र्च करता है और अल्लाह और अंतिम दिन पर ईमान नहीं रखता। तो उसकी हालत उस चट्टान जैसी है जिसपर कुछ मिट्टी पड़ी हुई थी, फिर उस पर ज़ोर की वर्षा हुई और उसे साफ़ चट्टान की दशा में छोड़ गई। ऐसे लोग अपनी कुछ भी कमाई प्राप्त नहीं करते। और अल्लाह इनकार की नीति अपनानेवालों को मार्ग नहीं दिखाता।
व म – सलुल्लज़ी – न युन्फिकू – न अम्वालहुमुब्तिगा – अ मर्जातिल्लाहि व तस्बीतम् मिन् अन्फुसिहिम् क – म सलि जन्नतिम् – बिरब्वतिन् असाबहा वाबिलुन् फ़-आतत् उकु – लहा ज़िअ्फैनि फ़ – इल्लम् युसिब्हा वाबिलुन् फ़ – तल्लुन , वल्लाहु बिमा तअ्मलू – न बसीर (265)
और जो लोग अपने माल अल्लाह की प्रसन्नता के संसाधनों की तलब में और अपने दिलों को जमाव प्रदान करने के कारण ख़र्च करते हैं उनकी हालत उस बाग़ की तरह है जो किसी अच्छी और उर्वर भूमि पर हो। उस पर घोर वर्षा हुई तो उसमें दुगुने फल आए। फिर यदि घोर वर्षा उस पर नहीं हुई, तो फुहार ही पर्याप्त होगी। तुम जो कुछ भी करते हो अल्लाह उसे देख रहा है।
अ – यवद्दु अ – हदुकुम अन् तकू – न लहू जन्नतुम् – मिन्नखीलिव – व अअ् नाबिन् तज्री मिन् तह्तिहल् – अन्हारू लहू फ़ीहा मिन् कुल्लिस्स – मराति व असाबहुल कि – बरू व लहू जुर्रिय्यतुन् जु – अफा – उ फ़ – असाबहा इअ्सारून , फ़ीहि नारून् फहत – रकत , कज़ालि – क युबय्यिनुल्लाहु लकुमुल् – आयाति लअल्लकुम त – तफ़क्करून (266)*
क्या तुममें से कोई यह चाहेगा कि उसके पास खजूरों और अंगूरों का एक बाग़ हो, जिसके नीचे नहरें बह रही हों, वहाँ उसे हर प्रकार के फल प्राप्त हों और उसका बुढ़ापा आ गया हो और उसके बच्चे अभी कमज़ोर ही हों कि उस बाग़ पर एक आग भरा बगूला आ गया, और वह जलकर रह गया? इस प्रकार अल्लाह तुम्हारे सामने आयतें खोल-खोलकर बयान करता है, ताकि सोच-विचार करो।
Alif Lam Mim Surah in Hindi रुकु 37
या अय्युहल्लज़ी – न आमनू अन्फिकू मिन् तय्यिबाति मा कसब्तुम व मिम्मा अखरज्ना लकुम् मिनल – अर्जि व ला त – यम्म – मुल – खबी – स मिन्हु तुन्फ़िकू – न व लस्तुम बि – आख़िज़ीहि इल्ला अन् तुग्मिजू फ़ीहि , वअ्लमू अन्नल्ला – ह ग़निय्युन् हमीद (267)
ऐ ईमान लानेवालो! अपनी कमाई की पाक और अच्छी चीज़ों में से ख़र्च करो और उन चीज़ों में से भी जो हमने धरती से तुम्हारे लिए निकाली हैं। और देने के लिए उसके ख़राब हिस्से (के देने) का इरादा न करो, जबकि तुम स्वयं उसे कभी न लोगे। यह और बात है कि उसकी क़ीमत कम कराके लो। और जान लो कि अल्लाह निस्पृह, प्रशंसनीय है।
अश्शैतानु यअि़दुकुमुल् फ़क् – र व यअ्मुरूकुम बिल्फ़ह्शा – इ वल्लाहु यअिदुकुम् मग्फ़ि – रतम् मिन्हु व फ़ज लन् , वल्लाहु वासिअुन् अलीम (268)
शैतान तुम्हें निर्धनता से डराता है और निर्लज्जता के कामों पर उभारता है, जबकि अल्लाह अपनी क्षमा और उदार कृपा का तुम्हें वचन देता है। अल्लाह बड़ी समाईवाला, सर्वज्ञ है।
युअ्तिल् – हिक्म – त मंय्यशा – उ व मंय्युअ्तल – हिक्म – त फ़ – क़द् ऊति – य खैरन् कसीरन् , व मा यज्जक्करू इल्ला उलुल – अल्बाब (269)
वह जिसे चाहता है तत्वदर्शिता प्रदान करता है और जिसे तत्वदर्शिता प्राप्त हुई उसे बड़ी दौलत मिल गई। किन्तु चेतते वही हैं जो बुद्धि और समझवाले हैं।
व मा अन्फ़क्तुम् मिन् न – फ़ – क़तिन् औ नज़र्तुम् मिन् – नजि रन् फ़ – इन्नल्ला – ह यअ्लमुहू , व मा लिज्जालिमी – न मिन् अन्सार (270)
और तुमने जो कुछ भी ख़र्च किया और जो कुछ भी नज़र (मन्नत) की हो, निस्सन्देह अल्लाह उसे भली-भाँति जानता है। और अत्याचारियों का कोई सहायक न होगा।
इन् तुब्दुस्स – दक़ाति फ़ – निअिम्मा हि – य व इन् तुख्फूहा व तु अ्तू हल्फ – करा – अ फहुव खैरूल्लकुम व युकफ्फिरू अन्कुम् मिन् सय्यिआतिकुम , वल्लाहु बिमा तअ्मलूना ख़बीर (271)
यदि तुम खुले रूप में सदक़े दो तो यह भी अच्छा है और यदि उनको छिपाकर मुहताजों को दो तो यह तुम्हारे लिए अधिक अच्छा है। और यह तुम्हारे कितने ही गुनाहों को मिटा देगा। और अल्लाह को उसकी पूरी ख़बर है, जो कुछ तुम करते हो।
लै – स अ लै – क हुदाहुम् व लाकिन्नल्ला – ह यह्दी मंय्यशा – उ व मा तुन्फ़ि कू मिन् खरिन् फ़ – लिअन्फुसिकुम , व मा तुन्फिकू – न इल्लब्-तिग़ा-अ वज्हिल्लाहि , व मा तुन्फ़िकू मिन् खैरिंय्युवफ् – फ़ इलैकुम् व अन्तुम् ला तुज्लमून (272)
उन्हें मार्ग पर ला देने का दायित्व तुम पर नहीं है, बल्कि अल्लाह ही जिसे चाहता है मार्ग दिखाता है। और जो कुछ भी माल तुम ख़र्च करोगे, वह तुम्हारे अपने ही भले के लिए होगा और तुम अल्लाह के (बताए हुए) उद्देश्य के अतिरिक्त किसी और उद्देश्य से ख़र्च न करो। और जो माल भी तुम (नेक कामों में) ख़र्च करोगे, वह पूरा-पूरा तुम्हें चुका दिया जाएगा और तुम्हारा हक़ न मारा जाएगा।
लिल्फु – क़रा – इल्लज़ी – न उहिसरू फ़ी सबीलिल्लाहि ला यस्ततीअू – न ज़रबन् फ़िल्अर्ज़ि यहसबुहुमुल् – जाहिलु अग्निया – अ मिनत्त – अफ्फुफ़ि तअ्रिफुहुम बिसीमाहुम् ला यस्अलूनन्ना – स इलहाफ़न् , व मा तुन्फिकू मिन् खैरिन् फ – इन्नल्ला – ह बिही अलीम • (273)*
यह उन मुहताजों के लिए है जो अल्लाह के मार्ग में घिर गए हैं कि धरती में (जीविकोपार्जन के लिए) कोई दौड़-धूप नहीं कर सकते। उनके स्वाभिमान के कारण अपरिचित व्यक्ति उन्हें धनवान समझता है। तुम उन्हें उनके लक्षणों से पहचान सकते हो। वे लिपटकर लोगों से नहीं माँगते। जो माल भी तुम ख़र्च करोगे, वह अल्लाह को ज्ञात होगा।
Alif Lam Mim Surah in Hindi रुकु 38
अल्लज़ी – न युन्फिकू – न अम्वालहुम् बिल्लैलि वन्नहारि सिररंव – व अलानि – यतन् फ़ – लहुम् अज्रूहुम् अिन् – द रब्बिहिम् व ला खौफुन् अलैहिम् व ला हुम् यह्ज़नून (274)
जो लोग अपने माल रात-दिन छिपे और खुले ख़र्च करें, उनका बदला तो उनके रब के पास है, और न उन्हें कोई भय है और न वे शोकाकुल होंगे।
अल्लज़ी – न यअ्कुलूनर्रिबा ला यकूमू – न इल्ला कमा यकूमुल्लज़ी य – तख़ब्बतुहुश् – शैतानु मिनल्मस्सि , ज़ालि – क बि – अन्नहुम् कालू इन्नमल् – बैअु़ मिस्लुर्रिबा • व अहल्लल्लाहुल्बै – अ व हर्रमारिबा फ़ – मन् जा – अहू मौअि – ज़तुम् मिर्रब्बिही फन्तहा फ़ – लहू मा स – ल – फ़ , व अम्रुहू इलल्लाहि , व मन् आ – द फ़ – उलाइ – क अस्हाबुन्नारि हुम् फ़ीहा ख़ालिदून (275)
और जो लोग ब्याज खाते हैं, वे बस इस प्रकार उठते हैं जिस प्रकार वह व्यक्ति उठता है, जिसे शैतान ने छूकर बावला कर दिया हो और यह इसलिए कि उनका कहना है, “व्यापार भी तो ब्याज के सदृश है,” जबकि अल्लाह ने व्यापार को वैध और ब्याज को अवैध ठहराया है। अतः जिसको उसके रब की ओर से नसीहत पहुँची और वह बाज़ आ गया, तो जो कुछ पहले ले चुका वह उसी का रहा और मामला उसका अल्लाह के हवाले है। और जिसने फिर यही कर्म किया तो ऐसे ही लोग आग (जहन्नम) में पड़नेवाले हैं। उसमें वे सदैव रहेंगे।
यम्हकुल्लाहुर्रिबा व युर्बिस्सदक़ाति , वल्लाहु ला युहिब्बु कुल ल कफ्फारिन् असीम (276)
अल्लाह ब्याज को घटाता और मिटाता है और सदक़ों को बढ़ाता है। और अल्लाह किसी अकृतज्ञ, हक़ मारनेवाले को पसन्द नहीं करता
इन्नल्लज़ी – न आमनू व अमिलुस्सालिहाति व अकामुस्सला – त व आतवुज्ज़का – त लहुम् अजरूहुम् अिन् – द रब्बिहिम् व ला ख़ौफुन् अलैहिम् व ला हुम् यह्ज़नून (277)
निस्संदेह जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए और नमाज़ क़ायम की और ज़कात दी, उनके लिए उनका बदला उनके रब के पास है, और उन्हें न कोई भय होगा और न वे शोकाकुल होंगे।
या अय्युहल्लज़ी – न आमनुत्तकुल्ला – ह व ज़रू मा बकि – य मिनर्रिबा इन् कुन्तुम् मुअ्मिनीन (278)
ऐ ईमान लानेवालो! अल्लाह का डर रखो और जो कुछ ब्याज बाक़ी रह गया है उसे छोड़ दो, यदि तुम ईमानवाले हो।
फ़ इल्लम् तफ्अलू फ़अ् – जनू बि – हर्बिम् मिनल्लाहि व रसूलिही व इन् तुब्तुम् फ़ – लकुम् रूऊसु अम्वालिकुम् ला तज्लिमू – न व ला तुज्लमून (279)
फिर यदि तुमने ऐसा न किया तो अल्लाह और उसके रसूल से युद्ध के लिए ख़बरदार हो जाओ। और यदि तौबा कर लो तो अपना मूलधन लेने का तुम्हें अधिकार है। न तुम अन्याय करो और न तुम्हारे साथ अन्याय किया जाए।
व इन् का – न जू अस्रतिन् फ़ – नज़ि – रतुन् इला मैस – रतिन् , व अन् तसद्दकू खैरूलकुम् इन् कुन्तुम् तअलमून (280)
और यदि कोई तंगी में हो तो हाथ खुलने तक मुहलत देनी होगी; और सदक़ा कर दो (अर्थात मूलधन भी न लो) तो यह तुम्हारे लिए अधिक उत्तम है, यदि तुम जान सको।
वत्तकू यौमन् तुर्जअू – न फीहि इलल्लाहि , सुम् – म तुवफ्फा कुल्लु नफ्सिम् मा क – सबत् व हुम् ला युज्लमून (281)*
और उस दिन का डर रखो जबकि तुम अल्लाह की ओर लौटोगे, फिर प्रत्येक व्यक्ति को जो कुछ उसने कमाया पूरा-पूरा मिल जाएगा और उनके साथ कदापि कोई अन्याय न होगा।
Alif Laam Meem Surah-2 रुकु 39
या अय्युहल्लज़ी – न आमनू इज़ा तदायन्तुम् बिदैनिन् इला अ – जलिम् मुसम्मन् फ़क्तुबूहु , वल्यक्तुब् बैनकुम् कातिबुम् बिल्अदलि व ला यअ् – ब कातिबुन् अंय्यक्तु – ब कमा अल्ल – महुल्लाहु फल्यक्तुब् वल्युमलि लिल्लज़ी अलैहिल – हक्कु वल्यत्तकिल्ला – ह रब्बहू व ला यब्खस् मिन्हु शैअन् , फ़ – इन् कानल्लज़ी अलैहिल्हक्कु सफ़ीहन् औ ज़अीफ़न् औ ला यस्ततीअु अंय्युमिल – ल हु – व फ़ल्युमलिल वलिय्युहू बिल्अदलि , वस्तश्हिदू शहीदैनि मिर्रिजालिकुम् फ-इल्लम् यकू ना रजु लै नि फ़ – रजुलुंव्वम्र अतानि मिम्मन् तरजौ – न मिनश्शु – हदा – इ अन् तज़िल – ल इह्दाहुमा फतुज़क्कि – र इह्दाहुमल – उख्रा , व ला यअ्बश् – शु – हदा – उ इज़ा मा दुअू , व ला तस्अमू अन् तक्तुबूहु सगीरन् औ कबीरन् इला अ – जलिही , ज़ालिकुम् अक्सतु अिन्दल्लाहि व अक्वमु लिश्शहा – दति व अद्ना अल्ला तर्ताबू इल्ला अन् तकू – न तिजारतन् हाज़ि – रतन तुदीरूनहा बैनकुम् फलै – स अलैकुम् जुनाहुन् अल्ला तक्तुबूहा , व अश्हिदू इज़ा तबायअ्तुम् व ला युज़ार् – र कातिबुंव – व ला शहीदुन् , व इन् तफ्अलू फ़ – इन्नहू फुसूकुम् बिकुम , वत्तकुल्ला – ह , व युअल्लिमुकुमुल्लाहु , वल्लाहु बिकुल्लि शैइन् अलीम (282)
ऐ ईमान लानेवालो! जब किसी निश्चित अवधि के लिए आपस में ऋण का लेन-देन करो तो उसे लिख लिया करो और चाहिए कि कोई लिखनेवाला तुम्हारे बीच न्यायपूर्वक (दस्तावेज़) लिख दे। और लिखनेवाला लिखने से इनकार न करे; जिस प्रकार अल्लाह ने उसे सिखाया है, उसी प्रकार वह दूसरों के लिए लिखने के काम आए और बोलकर वह लिखाए जिसके ज़िम्मे हक़ की अदायगी हो। और उसे अल्लाह का, जो उसका रब है, डर रखना चाहिए और उसमें कोई कमी न करनी चाहिए। फिर यदि वह व्यक्ति जिसके ज़िम्मे हक़ की अदायगी हो, कम समझ या कमज़ोर हो या वह बोलकर न लिखा सकता हो तो उसके संरक्षक को चाहिए कि न्यायपूर्वक बोलकर लिखा दे। और अपने पुरुषों में से दो गवाहों को गवाह बना लो और यदि दो पुरुष न हों तो एक पुरुष और दो स्त्रियाँ, जिन्हें तुम गवाह के लिए पसन्द करो, गवाह हो जाएँ (दो स्त्रियाँ इसलिए रखी गई हैं) ताकि यदि एक भूल जाए तो दूसरी उसे याद दिला दे। और गवाहों को जब बुलाया जाए तो आने से इनकार न करें। मामला चाहे छोटा हो या बड़ा एक निर्धारित अवधि तक के लिए है, तो उसे लिखने में सुस्ती से काम न लो। यह अल्लाह की नज़र में अधिक न्यायसंगत बात है और इससे गवाही भी अधिक ठीक रहती है। और इससे अधिक संभावना है कि तुम किसी संदेह में नहीं पड़ोगे। हाँ, यदि कोई सौदा नक़द हो, जिसका लेन-देन तुम आपस में कर रहे हो, तो तुम्हारे उसके न लिखने में तुम्हारे लिए कोई दोष नहीं। और जब आपस में क्रय-विक्रय का मामला करो तो उस समय भी गवाह कर लिया करो, और न किसी लिखनेवाले को हानि पहुँचाई जाए और न किसी गवाह को। और यदि ऐसा करोगे तो यह तुम्हारे लिए अवज्ञा की बात होगी। और अल्लाह का डर रखो। अल्लाह तुम्हें शिक्षा दे रहा है। और अल्लाह हर चीज़ को जानता है।
व इन् कुन्तुम् अला स – फरिंव्वलम् तजिदू कातिबन् फ़रिहानुम् मकबू – जतुन , फ़ – इन अमि – न बअ्जुकुम बअ् जन् फ़ल्युअद्दिल्लज़िअ्तुमि – न अमान – तहू वल्यत्तकिल्ला – ह रब्बहू , व ला तक्तुमुश्शहाद – त , व मंय्यक्तुम्हा फ़ – इन्नहू आसिमुन् कल्बुहू , वल्लाहु बिमा तअ्मलू – न अलीम (283)*
और यदि तुम किसी सफ़र में हो और किसी लिखनेवाले को न पा सको, तो गिरवी रखकर मामला करो। फिर यदि तुममें से एक-दूसरे पर भरोसा करे, तो जिस पर भरोसा किया है उसे चाहिए कि वह यह सच कर दिखाए कि वह विश्वासपात्र है और अल्लाह का, जो उसका रब है, डर रखे। और गवाही को न छिपाओ। जो उसे छिपाता है तो निश्चय ही उसका दिल गुनाहगार है, और तुम जो कुछ करते हो अल्लाह उसे भली-भाँति जानता है।
Alif Lam Mim Surah in Hindi रुकु 40
लिल्लाहि मा फ़िस्समावाति व मा फिल्अर्ज़ि व इन् तुब्दू मा फ़ी अन्फुसिकुम् औ तुख्फूहु युहासिब्कुम् बिहिल्लाहु , फ़ – यग्फिरू लिमंय्यशा – उ व युअज्जिबु मंय्यशा – उ , वल्लाहु अला कुल्लि शैइन् क़दीर (284)
अल्लाह ही का है जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है। और जो कुछ तुम्हारे मन में है, चाहे तुम उसे व्यक्त करो या छिपाओ, अल्लाह तुमसे उसका हिसाब लेगा। फिर वह जिसे चाहे क्षमा कर दे और जिसे चाहे यातना दे। अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है।
आ – मनर्रसूलु बिमा उन्ज़ि – ल इलैहि मिर्रब्बिही वल्मुअ्मिनून , कुल्लुन् आम – न बिल्लाहि व मलाइ – कतिही व कुतुबिही व रूसुलिही , ला नुफ़र्रिकु बै – न अ – हदिम् मिर्रूसुलिही , व कालू समिअ़ना व अ – तअ्ना गुफ्रान – क रब्बना व इलैकल मसीर (285)
रसूल उसपर, जो कुछ उसके रब की ओर से उसकी ओर उतरा, ईमान लाया और ईमानवाले भी, ये सब अल्लाह पर, उसके फ़रिश्तों पर, उसकी किताबों पर और उसके रसूलों पर ईमान लाए। (और उनका कहना यह है,) “हम उसके रसूलों में से किसी को दूसरे रसूलों से अलग नहीं करते।” और उनका कहना है, “हमने सुना और आज्ञाकारी हुए। हमारे रब! हम तेरी क्षमा के इच्छुक हैं और हमें तेरी ही ओर लौटना है।”
ला युकल्लिफुल्लाहु नफ्सन् इल्ला वुस्अहा , लहा मा क – सबत् व अलैहा मक्त – सबत ,रब्बना ला तुआखिज्ना इन् – नसीना औ अख़्तअना , रब्बना व ला तहमिल् अलैना इस्रन् कमा हमल्तहू अलल्लजी – न मिन् कब्लिना , रब्बना व ला तुहम्मिलना मा ला ताक – त लना बिही वअ्फु अन्ना , वग्फिर लना , वरहम्ना , अन् – त मौलाना फ़न्सुरना अलल् कौमिल काफ़िरीन (286)*
अल्लाह किसी जीव पर बस उसकी सामर्थ्य और समाई के अनुसार ही दायित्व का भार डालता है। उसका है जो उसने कमाया और उसी पर उसका वबाल (आपदा) भी है जो उसने किया। “हमारे रब! यदि हम भूलें या चूक जाएँ तो हमें न पकड़ना। हमारे रब! और हम पर ऐसा बोझ न डाल जैसा तूने हमसे पहले के लोगों पर डाला था। हमारे रब! और हमसे वह बोझ न उठवा, जिसकी हममें शक्ति नहीं। और हमें क्षमा कर और हमें ढाँक ले, और हम पर दया कर। तू ही हमारा संरक्षक है, अतएव इनकार करनेवालों के मुक़ाबले में हमारी सहायता कर।”